नई दिल्ली :चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम ने चार सेंकड के लिए उल्टी दिशा में चलने की पूर्व निर्धारित प्रक्रिया पूरी कर ली। मंगलवार सुबह 8.50 बजे इसकी प्रक्रिया सफलतापूर्वक शुरू हुई थी। इसमें चंद्रयान- 2 में लगा प्रॉपल्शनट सिस्टम का इस्तेमाल किया गया। चाल बदलने की अगली प्रक्रिया कल यानी 4 सितंबर को दोपहर बाद 3.30 से 4.40 के बीच पूरी होगी। पूरी प्रक्रिया इसलिए अपनाई जा रही है ताकि वह चांद के दक्षिणी ध्रुव का रुख कर सके।
क्यों बदली चाल?
दरअसल, लैंडर विक्रम में एक सेंट्रल इंजन और तीन सहायक इंजन लगे हैं। मंगलवार को जब विक्रम ने चार सेकंड के लिए चाल बदली तो उसके पीछे लगे इंजन में आग पैदा हुई। इसी तरह, बुधवार को भी इंजन में आग जलेगी। इससे विक्रम के एक तरफ के हिस्से का अल्टिट्यूड 100/100 से घटकर 100/35 हो जाएगा। यानी, विक्रम के एक तरफ का अल्टिट्यूड ज्यादा जबकि दूसरी तरफ का अल्टिट्यूड कम हो जाएगा। इस कम अल्टिट्यूड के कारण चांद की सतह पर उतरना आसान हो जाएगा। इसरो चीफ के. सिवन ने यह पूरी प्रक्रिया का विस्तार से समझाई। बहरहाल, विक्रम लैंडर का ऑर्बिट 104 किमी x 128 किमी है। चंद्रयान- 2 का ऑर्बिटर चांद की कक्षा में लगातार चक्कर लगा रहा है। अच्छी बात यह है कि ऑर्बिटर और लैंडर, दोनों बिल्कुल सही हैं।
सोमवार को भी पार किया था अहम पड़ाव
इससे पहले, चंद्रयान-2 ने सोमवार को एक अहम पड़ाव पार किया था जब
दोपहर करीब 1:15 बजे इस यान से विक्रम नाम का लैंडर अलग हो
गया। इसी लैंडर को 6 और 7 सितंबर की रात
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना है, जिसके सतह छूते
ही वैज्ञानिकों को चंद्रमा से धरती की वास्तविक दूरी पता चल जाएगी, जो अभी तक पहेली बनी हुई है।
इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान- 2 से लैंडर के अलग होने की तुलना उस बेटी से की है, जो मायके से ससुराल की ओर निकल चुकी है। पीछे रह गया ऑर्बिटर चांद का एक साल तक चक्कर लगाएगा। लॉन्चिंग के बाद 23 दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में घूमते रहने के बाद चंद्रयान- 2 ने 14 अगस्त को चांद की यात्रा शुरू की थी।
याद रहे कि 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रायन- 2 की लॉन्चिंग हुई थी जिसके 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरने की संभावना है।