हरियाणा विधानसभा के चार और सदस्य कम हो गए हैं। मंगलवार को जजपा समर्थक चार इनेलो विधायकों ने भी अपने पद से इस्तीफे दे दिया। अब विधानसभा सदस्यों की संख्या कम होकर 78 रह गई है। 18 सदस्य पहले ही कम हो चुके थे। विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देने वाले विधायकों में नैना चौटाला, अनूप धानक, राजदीप फौगाट व पिरथी नंबरदार शामिल हैं।
चारों ने स्पीकर कंवरपाल को अपना इस्तीफा सौंपा, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। चारों विधायकों के खिलाफ दल-बदल कानून के तहत भी विधानसभा में मामला चल रहा था। इनेलो के वरिष्ठ नेता अभय चौटाला ने इनेलो में रहते हुए चारों विधायकों के जजपा का समर्थन पर दलबदल कानून के तहत कार्रवाई की मांग की थी।
स्पीकर ने मंगलवार को अंतिम सुनवाई कर मामले में अपना फैसला सुनाना था, इससे पहले कि स्पीकर विधानसभा के नियमानुसार कार्रवाई करते, चारों विधायकों ने अपनी विधानसभा सदस्यता ही छोड़ दी। स्पीकर अगर दलबदल कानून के तहत इन्हें अयोग्य ठहराते तो जब से वे जजपा का समर्थन कर रहे थे तब से लिए गए वेतन-भत्तों को भी लौटाना पड़ता।
चारों विधायकों का इस्तीफा प्रजातंत्र के साथ धोखा: ढालिया
इनेलो प्रदेशाध्यक्ष बीरबल दास ढालिया ने कहा कि नैना चौटाला, अनूप धानक, राजदीप फोगाट, और पिरथी सिंह नंबरदार का दल बदलने के ग्यारह महीने बाद त्याग पत्र देना प्रजातंत्र के साथ धोखा है। वास्तविकता यह है कि जब गत वर्ष अक्टूबर माह में इन चारों विधायकों ने जजपा का समर्थन करते हुए उसके गठन के समय मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी, तभी से वे दलबदल कानून के प्रावधानों की परिधि में आ गए थे।
अब जब विधानसभा के भंग होने में कुछ ही समय बाकी रह गया है तब उनका त्याग पत्र सदन की गरिमा को चुनौती देने के साथ-साथ प्रजातंत्र के साथ भद्दा मजाक भी है। पिछले ग्यारह महीनों के दौरान वेतन, भत्ता और पेटिग्रांट उन्होंने अनैतिक और गैर-कानूनी तौर पर ली है, उसे लेने का उन्हें कोई नैतिक या कानूनी अधिकार नहीं था।
सैद्धांतिक रूप से यह सारी रकम उनसे वसूल की जानी चाहिए। यदि ऐसा न किया गया तो भविष्य में यह एक उदाहरण बनेगा। एक तरफ दलबदल कानून निरर्थक होगा और दूसरी तरफ प्रजातंत्र और विधानसभा की गरिमा एवं मर्यादा घटेगी।