श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के एक महीने बाद घाटी के कुछ हिस्सों में बुधवार आधी रात से मोबाइल की घंटियां भी बजनी शुरू हो गई। लोगों ने राहत की सांस ली और अपने फ्रिकमंदों का नंबर मिलाकर अपनी खैरियत की जानकारी दी। इसी के साथ जम्मू-कश्मीर में जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है।
पिछले महीने पांच अगस्त को केंद्र की ओर से अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के फैसले के बाद से घाटी में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं निलंबित थीं। अधिकारियों के अनुसार एक दिन पहले तक घाटी में 95 टेलिफोन एक्सचेंजों में से 76 में लैंडलाइन सेवाएं बहाल कर दी गईं। हालांकि, यह सेवा कारोबारी क्षेत्र लाल चौक और प्रेस एनक्लेव में अब भी बंद है।
इससे पहले डीसी शाहिद चौधरी ने बताया था कि घाटी के ज्यादातर टेलिफोन एक्सचेंज बुधवार रात से ही वापस काम करना शुरू कर देंगे। ऐसे में प्रशासन ने मोबाइल सेवाओं को बहाल कर दिया है। कुपवाड़ा में मोबाइल फोन की घंटियां बजनी शुरू भी हो गई हैं। धैर्य बनाए रखने के लिए सभी का शुक्रिया और असुविधाओं के लिए खेद है।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) मुनीर खान ने कहा कि पांच अगस्त के बाद से कानून-व्यवस्था की कोई बड़ी समस्या नहीं हुई है। उन्होंने कहा, ‘जहां तक कानून-व्यवस्था का संबंध हैं, पांच अगस्त से हमने एक चीज सुनिश्चित की है और इसमें कामयाबी भी हासिल की है। वो यह है कि कोई भी असैन्य व्यक्ति हताहत नहीं हुआ है या कानून-व्यवस्था की कार्रवाई नहीं हुई है। इसका श्रेय जमीन पर मौजूद सभी बलों को जाता है।’
‘जम्मू और लद्दाख में हालात ज्यादा बेहतर‘
मुनीर खान ने आगे
कहा, ‘जब हम स्थिति का
विश्लेषण करते हैं, हम यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाते हैं कि कानून-व्यवस्था नियंत्रण में
रहे और अब तक हम कामयाब रहे हैं। लैंडलाइन और मोबाइल सेवा को बंद करने का यह एक
प्रमुख कारण था। जम्मू और लद्दाख में लैंडलाइन फोन की सेवा और कुछ हक तक मोबाइल
सेवा की बहाली के बाद हालात अपेक्षाकृत बेहतर हैं। घाटी के विपरीत, इन दो क्षेत्रों में
दुकानें, स्कूल और व्यापारिक
प्रतिष्ठान खुले हैं’।
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने के बाद सुरक्षा कारणों से घाटी में इंटरनेट व संचार सेवाएं 5 अगस्त के बाद बंद कर दी गई थी।