नई दिल्ली: लंबे अरसे बाद मध्य प्रदेश की सत्ता में लौटी कांग्रेस के लिए कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है। एक तरफ पार्टी आपसी गुटबाजी और उठापटक से गुजर रही है, तो दूसरी तरफ प्रदेश के पूर्व सीएम और दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह पार्टी के लिए लगातार परेशानी का सबब बन रहे हैं। दरअसल, पिछले कुछ दिनों में मध्य प्रदेश कांग्रेस के भीतर जो भी आपसी आरोप-प्रत्यारोप सामने आए हैं, वो वहां के दिग्गजों की आपसी गुटबाजी का ही नतीजा हैं। यह सारी गुटबाजी सरकार और पार्टी में पकड़ को लेकर है।
दरअसल, असली संघर्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के बीच माना जा रहा है। ये खींचतान नई न होकर सालों पुरानी है। प्रदेश में एक धड़ा सिंधिया का है तो दिग्विजय और मुख्यमंत्री कमलनाथ एक गुट के माने जाते हैं। हाल के दिनों में दोनों गुट अपने-अपने समर्थकों के जरिए ताकत की आजमाइश में लगे हैं। उल्लेखनीय है कि असली मामला प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर भी है। सिंधिया की नजरें अध्यक्ष पद पर हैं तो दिग्विजय नहीं चाहते कि सिंधिया के हाथों में कमान हो। दिग्विजय के खिलाफ हाल में सरकार में दखलंदाजी का आरोप लगाने वाले वन मंत्री उमंग सिंघार सिंधिया समर्थक समझे जाते हैं।
खुले तौर पर सामने आए मतभेद
कांग्रेस के लिए और
भी बुरी खबर यह है कि राज्य में सीएम कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच भी
विवाद सतह पर आ चुके हैं। सोनिया गांधी ने इस पूरे मामले की जांच का जिम्मा पूर्व
केंद्रीय मंत्री एके एंटनी को सौंपा है। एंटनी की अध्यक्षता वाला पैनल जल्द ही सोनिया
गांधी को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। ऐसे में मंगलवार को ज्योतिरादित्य की कांग्रेस की
अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ होने वाली बैठक टलने को लेकर एक कयास ये भी
लगाया जा रहा है कि सोनिया गांधी इस रिपोर्ट का इंतजार कर रही हैं। इसलिए उन्होंने
अपनी ये बैठक रद्द की है।
दिग्विजय ने भी कर ली है तैयारी
मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक, सिंघार के हमले के बाद सिंह ने तय कर लिया है कि वे सिंधिया के हाथ में प्रदेश की कमान नहीं जाने देंगे। चर्चा तो यहां तक है कि अगर सिंधिया के हाथों में कमान जाती है तो पार्टी में टूट-फूट हो सकती है। हालांकि, दिग्विजय का वरदहस्त और मार्गदर्शन लेकर मध्य प्रदेश के सीएम बनने वाले कमलनाथ भी सिंह की दखलंदाजी से असहज हैं, लेकिन सिंधिया के मुद्दे को लेकर वह भी सिंह के साथ हैं। कहा यह भी जाता है कि मध्य प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों पर आज भी दिग्विजय सिंह की पकड़ काफी मजबूत है। यह बात कमलनाथ से लेकर कांग्रेस आलाकमान तक को पता है, इसलिए इस बात की संभावना कम ही है कि सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई हो। दिग्विजय सिंह और सिंघार विवाद के बाद यह पूरा मामला फिलहाल कांग्रेस अनुशासन समिति के सामने है।