दिल्ली: सरकारी बंगलों (Government Bungalows) में अनधिकृत तौर पर काबिज लोगों की सरकारी आवासीय संपत्तियों से बेदखली के लिये हाल ही में संसद द्वारा पारित सख्त कानून रविवार से लागू होने के बाद उन पूर्व सांसदों (Former MP’s) की भी मुश्किलें बढ़ना तय है जिन्होंने लोकसभा चुनाव (General Election) हारने के बाद अभी तक लुटियन दिल्ली (Lutyens’s Delhi) में स्थित सरकारी बंगला खाली नहीं किया है. एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल ऐसे सांसदों की संख्या 80 है.
आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी बयान के अनुसार सरकारी स्थान (अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली) संशोधन अधिनियम 2019 को 15 सितंबर से लागू कर दिया गया है. उल्लेखनीय है कि गत जून में हुये लोकसभा चुनाव (General Election) में हारने वाले सांसदों में से 81 सांसदों ने अब तक दिल्ली स्थित सरकारी बंगला खाली नहीं किया है.
सदस्यता खत्म होने से 30 दिनों के अंदर खाली करना था बंगला
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इन सांसदों को संसद सदस्यता खत्म होने की तारीख से 30 दिन के भीतर बंगला खाली करना था लेकिन ऐसा नहीं कर पाने वाले सांसदों को संपदा निदेशालय (Directorate of Estates) की ओर से 15 दिन का नोटिस भी भेजा जा चुका है. उन्होंने बताया कि अब नया कानून लागू होने के बाद 15 दिन के नोटिस की औपचारिकता पूरी करने की जरूरत नहीं होगी
संशोधित कानून के तहत अब कब्जाधारक को बंगला खाली नहीं करने का कारण बताने के लिये सिर्फ तीन दिन का समय देते हुये एक नोटिस जारी किया जा रहा है. संतोषजनक कारण नहीं बता पाने पर संपदा निरीक्षक संपत्ति को खाली करा सकेंगे.
9 अगस्त को जारी कर दी गई थी अधिसूचना
उल्लेखनीय है कि 17 वीं लोकसभा के हाल ही में संपन्न हुये पहले संसद सत्र में मंत्रालय द्वारा पेश सरकारी स्थान (अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली) संशोधन विधेयक 2019 को दोनों सदनों से पारित किया गया था. इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद विधि एवं न्याय मंत्रालय ने नौ अगस्त को अधिसूचित कर दिया था. इसके बाद संपदा निदेशालय ने भी इसे बतौर कानून लागू करने की अधिसूचना 12 सितंबर को जारी कर दी. अधिसूचना के मुताबिक इस कानून को 15 सितंबर से प्रभावी घोषित किया गया है.