दिल्ली: नागरिकता संशोधन बिल की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग यानी IUML ने बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में आर्टिकल 14 के उल्लंघन का हवाला देते हुए बिल पर रोक लगाने की मांग की गई है। साथ ही IUML का कहना है कि संविधान मजहब के आधार पर भेदभाव की इजाजत नहीं देता है। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल कोर्ट में IUML का पक्ष रखेंगे। बता दें कि बिल को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद ही इस याचिका को कोर्ट में मेंशन किया जाएगा।
बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर असम समेत पूर्वोत्तर राज्यों में व्यापक विरोध प्रदर्शन के बीच संसद ने बुधवार को इसे अपनी मंजूरी दे दी। राज्यसभा ने बुधवार को विस्तृत चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया। सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने के विपक्ष के प्रस्ताव और संशोधनों को खारिज कर दिया। विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े जबकि 105 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया।
नागरिकता संशोधन विधेयक के संसद में पारित होने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत और इसके करुणा तथा भाईचारे के मूल्यों के लिए ऐतिहासिक दिन करार दिया। उन्होंने ट्वीट किया कि ‘‘विधेयक वर्षों तक पीड़ा झेलने वाले अनेक लोगों के कष्टों को दूर करेगा।’’ प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में विधेयक का समर्थन करने वाले सभी सदस्यों का आभार भी व्यक्त किया।
गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया कि नागरिकता संशोधन विधेयक पूरी तरह से संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप है तथा इसमें ‘‘किसी की नागरिकता लेने नहीं, देने’’ का प्रावधान है इसलिए देश के मुस्लिम नागरिकों को इससे डरने की जरूरत नहीं है। शाह ने कहा कि गृह मंत्री ने कपिल सिब्बल के उस बयान का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि देश का मुसलमान उनसे (भाजपा से) नहीं डरता।