दिल्ली: केरल सरकार नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। इससे पहले केरल सरकार राज्य विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चुकी है। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन साफ कर चुके हैं की राज्य में सीएए और एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता पंजीकरण) लागू नहीं होगा।
अपने इस कदम को लेकर केरल सरकार का कहना है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 25 के साथ-साथ धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांत के भी खिलाफ है।
सीएए से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 22 जनवरी को होगी सुनवाई
उच्चतम न्यायालय ने कई उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित नागरिकता संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया। अदालत ने कहा कि वह 22 जनवरी को केंद्र द्वारा भेजी गई याचिका के साथ सीएए से संबंधित सभी याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
राज्य विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित
पिनराई विजयन की सरकार ने हाल ही में सीएए को रद्द करने की मांग वाले प्रस्ताव को राज्य विधानसभा से पारित किया है। साथ ही उनका कहना है कि केरल में यह कानून लागू नहीं होगा। प्रस्ताव को पेश करते हुए विजयन ने कहा था कि सीएए धर्मनिरपेक्ष नजरिए और देश के ताने बाने के खिलाफ है तथा इसमें नागरिकता देने में धर्म के आधार पर भेदभाव होगा।
डीएमके ने केरल का किया समर्थन, कहा अनुकरण करे सरकार
केरल विधानसभा में नागरिकता संशोधन अधिनियम को खत्म करने के प्रस्ताव को तमिलनाडु की विपक्षी पार्टी डीएमके ने समर्थन किया है। डीएमके ने सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक से कहा था कि तमिलनाडु सरकार केरल का अनुकरण करे और संविधान की रक्षा के लिए विवादास्पद कानून के खिलाफ तमिलनाडु विधानमंडल में इसी तरह का कदम उठाए।