मुंबईः शिवसेना की गठबंधन सरकार ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए मुसलमानों को शिक्षा और रोजगार में आरक्षण देने को लेकर अध्यादेश लाने का एलान किया है. आरक्षण को लेकर शिवसेना की सहयोगी एनसीपी के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक ने कहा कि आज हमने पिछली सरकार के मुसलमानों को शिक्षण संस्थाओं में 5 प्रतिशत आरक्षण देने के निर्णय को मान्यता दी. सरकारी स्कूलों, कॉलेजों में आरक्षण देने को लेकर हाई कोर्ट ने मान्यता दी थी.
‘कानून बनाकर मुस्लिम आरक्षण को लागू करने की कोशिश’
नवाब मलिक ने आगे कहा कि नौकरी और प्राइवेट स्कूलों में आरक्षण देने पर आरक्षण देने को लेकर सरकार विचार कर रही है. उन्होंने कहा, ”मुस्लिम समुदाय के लिए शैक्षिक आरक्षण पर हाई कोर्ट ने जो सहमति दी है, उसे देखते हुए, महाराष्ट्र विकास गठबंधन सरकार जल्द से जल्द एक कानून बनाकर मुस्लिम आरक्षण को लागू करने की कोशिश कर रही है.” बता दें कि राज्य में कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना गठबंधन की सरकार है.
आरक्षण को लेकर बीजेपी का बयान
वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि उनकी पार्टी बीजेपी इस आरक्षण का विरोध करेगी. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी धर्म के आधार पर किसी भी आरक्षण का विरोध करेगी.
उन्होंने कहा, ”कोई भी आरक्षण जो संविधान के खिलाफ है, उसका विरोध किया जाना चाहिए. मुस्लिमानों को धर्म के आधार पर आरक्षण दिया जा रहा है. इसलिए, हम इस आरक्षण का विरोध करेंगे क्योंकि यह संविधान-विरोधी है. हम ऐसी किसी भी चीज का समर्थन नहीं करेंगे जो संविधान विरोधी होगा.”
‘साल 2014 में शिवसेना ने किया था विरोध’
बता दें कि साल 2014 से पहले जब सूबे में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सरकार थी, तब मराठा के लिए 16 और मुसलमानों के लिए 5 फीसदी आरक्षण का प्रावधान अध्यादेश लाकर किया गया था. चुनाव हुए, तब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और शिवसेना गठबंधन की सरकार सत्ता में आ गई थी.
नई सरकार बनने के बाद मराठा आरक्षण तो बरकरार रखा, लेकिन मुसलमानों के लिए आरक्षण पर कोई कदम नहीं उठाया. सरकार के इस कदम के बाद अध्यादेश की सीमा खत्म हो गई. जब सरकार ने यह कदम उठाया था तब बीजेपी के साथ शिवसेना सत्ता में साझीदार थी.