PM मोदी बोले- कोरोना से लड़ाई बहुत लंबी, हमें थकना नहीं है, बस जीतना है

दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सोमवर छह अप्रैल को अपना 40वां स्थापना दिवस मना रही है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने कोरोना वायरस को लेकर कहा कि भारत दुनिया के उन देशों में से है जिसने कोरोना वायरस की गंभीरता को समझा और इसके खिलाफ एक व्यापक जंग की शुरुआत की। ये लंबी लड़ाई है, न थकना है, न हारना है। लंबी लड़ाई के बाद भी जीतना है। विजयी होकर निकलना है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से पांच आग्रह किए जिसमें कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जुटे डॉक्टर, नर्स, सफाई कर्मचारी आदि को धन्यवाद देना शामिल है। प्रधानमंत्री ने कार्यकर्ताओं से पीएम-केयर्स फंड में सहयोग करने का अनुरोध किया।

  • लाखों लोग पीएम-केयर्स फंड में दान कर रहे हैं। मेरा पांचवां आग्रह है कि इसमें प्रत्येक भाजपा कार्यकर्ता को खुद भी सहयोग करना है और 40 अन्य लोगों से भी पीएम-केयर्स फंड में सहयोग करने के लिए प्रेरित करना है।
  • कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मदद करने के लिए एक ‘आरोग्य सेतु ऐप’ विकसित किया गया है। मेरा चौथा आग्रह है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसकी जानकारी दें और कम से कम 40 लोगों के मोबाइल में ये ऐप इंस्टॉल भी करवाएं।
  • तीसरा आग्रह है, धन्यवाद अभियान के लिए। पार्टी ने पांच अलग-अलग वर्ग बनाए हैं। पहला वर्ग- नर्सेस और डॉक्टर्स हों, दूसरा वर्ग- सफाई कर्मचारी, तीसरा वर्ग– पुलिसकर्मी, चौथा वर्ग- बैंक और पोस्ट ऑफिस के कर्मचारी, पांचवां वर्ग- आवश्यक सेवाओं में जुटे हुए सभी कर्मचारी
  • इसे एक तरह से आप मेरे पंच-आग्रह मान सकते हैं। इसमें पहला आग्रह है, गरीबों को राशन के लिए अविरत सेवा अभियान। दूसरा आग्रह है कि अपने साथ ही आप 5-7 अन्य लोगों के लिए फेस-कवर बनवाएं और उनका वितरण करें।
  • साथियों पार्टी के 40वें स्थापना दिवस पर मैं आज आपसे कुछ सुझाव पर कार्य करने का आग्रह करना चाहता हूं। वैसे भाजपा ने, हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा जी ने हमारी राष्ट्रीय टीम ने जो एक खाका तैयार किया है मैं उसी को अपने तरीके से दोहरा रहा हूं।
  • ये लंबी लड़ाई है, न थकना है, न हारना है। लंबी लड़ाई के बाद भी जीतना है। विजयी होकर निकलना है। आज देश का लक्ष्य एक है, मिशन एक है, और संकल्प एक है- कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में जीत।
  • कल भी, रात को 9 बजे, हमने 130 करोड़ देशवासियों की सामूहिक शक्ति के दर्शन किए हैं। हर वर्ग, हर आयु के लोग, अमीर गरीब, पढ़ा-लिखा हो, अनपढ़ हो, सभी ने मिलकर, एकजुटता की इस ताकत को नमन किया, कोरोना के खिलाफ लड़ाई का अपना संकल्प और मजबूत किया।
  • भारत जैसा इतना बड़ा देश, 130 करोड़ लोगों का ये देश, लॉकडाउन के समय भारत की जनता ने जिस तरह की परिपक्वता दिखाई है, गांभीर्य दिखाया है, वो अभूतपूर्व है। कोई कल्पना नहीं कर सकता था कि इतने विशाल देश में, लोग इस तरह अनुशासन और सेवा भाव का पालन करेंगे।
  • हमारे शास्त्रों में कई महत्वपूर्ण बातें कही गईं हैं। हमारे वहां कहा गया है। समानो मंत्र: समिति: समानी। समानम् मनः सह चित्तम् एषाम्। यानि हमारे विचार, हमारे संकल्प और हमारे हृदय एकजुट होने चाहिए।
  • तमाम देश एकजुट होकर कोरोना का मुकाबला करें, इसके लिए सार्क देशों की विशेष बैठक हो या जी-20 देशों का विशेष सम्मेलन, भारत ने इन सारे आयोजनों में अहम भूमिका निभाई है।
  • हर स्तर पर एक बाद एक प्रोएक्टिव होकर भारत ने कई फैसले लिए। राज्य सरकारों के सहयोग से इन फैसलों को गति भी मिली। भारत ने जिस तेजी और समग्रता से काम किया है। उसकी प्रसंशा सिर्फ भारत ने ही नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी की है।
  • भारत ने एक के बाद एक अनेक निर्णय किए, उन फैसलों को जमीन पर उतारने के भरसक प्रयास किया। सभी सरकारों को साथ लेकर आगे बढ़ने में काई कमी न रहे इसकी चिंता की।
  • कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी से निपटने के लिए भारत के अबतक के प्रयासों ने दुनिया के सामने एक अलग ही उदाहरण प्रस्तुत किया है। भारत दुनिया के उन देशों में से है जिसने कोरोना वायरस की गंभीरता को समझा और इसके खिलाफ एक व्यापक जंग की शुरुआत की। भारत ने एक के बाद एक निर्णय किए। उन फैसलों को जमीन पर उतराने का भरसक प्रयास किया।
  • श्रद्धेय श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी, अटल बिहारी वाजपेजी जी जैसे अनगिनत महानुभावों ने राष्ट्र प्रथम का आदर्श दिया है। आज भी हमारे बीच अनेक वरिष्ठ महानुभाव हैं, जिन्होंने इसी मंत्र को लेकर दशकों तक जिया है और हमें शिक्षा दी है।
  • हमारी पार्टी का स्थापना दिवस, एक ऐसे कालखंड में आया है, जब देश ही नहीं, पूरी दुनिया, एक मुश्किल वक्त से गुजर रही है। चुनौतियों से भरा ये वातावरण देश की सेवा के लिए, हमारे संस्कार, हमारे समर्पण, हमारी प्रतिबद्धता को और प्रशस्त करता है।

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