मोदी सरकार ने किया चीन पर भरोसा, देसी कंपनी छोड़ चीन को मिलेगा दिल्ली-मेरठ सेमी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर बनाने का ठेका

दिल्ली: एक तरफ जहां चीन भारत की सीमा में घुसने की कोशिश कर रहा है, रोजाना लद्दाख सीमा पर भारत की सेना से मन मुटाव की खबरे मिल रही है। ताज़ा मामला मंगलवार का ही है जिसमे चीन के हमले में भारत के तीन सैनिक शहीद हो गए. शहीदों में एक अफसर और दो सैनिक शामिल हैं. वही दूसरी तरफ कोरोना वायरस का जन्मदाता चीन ने कोरोना के कारण भारत में हाहाकार मचा रखा है, देशभर में कोरोना के चलते कई लोग मारे जा रहे है, अर्थव्यवस्था सड़क पर आ चुकी है, सैकड़ो परिवार बेरोजगार हो गया है, आगे अभी कोरोना से कितने लोग मरेंगे इसकी भी तस्वीर साफ़ नहीं है, पूरा विश्व चीन के षड़यंत्र का शिकार हुआ है। इसके वाबजूद भी भारत सरकार चीन के गुण गा रही है, एक और भारत के प्रधानमंत्री स्वदेशी अपनाने पर जोर दे रहे है वही दूसरी ओर केंद्र सरकार की दोगली नीति देशभर के लोगो का विश्वास तोड़ रही है।

आपको बता दे कि केंद्र सरकार की तरफ से बनने वाले दिल्ली-मेरठ सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का ठेका एक चीनी कंपनी को मिलने जा रहा है. सरकार ने बीते साल फरवरी में 82.15 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (Regional Rapid Transit System) यानी आरआरटीएस (RRTS) को मंजूरी दी थी. ऐसे समय में जब देश में चीन के खिलाफ माहौल है और चीनी माल के बहिष्कार की बातें की जा रही हैं करीब 1100 करोड़ रुपये का यह ठेका चीनी कंपनी को मिलने पर विपक्ष हमलावर हो गया है.

इस पूरी योजना को जमीनी रूप देने के लिए कुल 30,274 करोड़ रुपए की लागत आएगी. वित्त मंत्री ने बताया था कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, गाजियाबाद होते हुए मेरठ से जुड़ेगी. इससे दिल्ली से मेरठ तक के सफर में लगने वाला समय कम हो जाएगा.

82 किलोमीटर लंबा है पूरा ट्रांजिट सिस्टम

मीडिया में चली एक खबर के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया था. कैबिनेट ने 82.15 किलोमीटर लंबे आरआरटीएस के निर्माण को मंजूरी दी थी. 82.15 किलोमीटर लंबे आरआरटीएस में 68.03 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड और 14.12 किलोमीटर अंडरग्राउंड होगा. इस प्रोजेक्ट से मुख्य रूप से उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश जाने वालों को खासा फायदा होगा

बजट में NCRTC को 1000 करोड़ आवंटित

इससे पहले सरकार अंतरिम बजट 2019 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (NCRTC) को 1000 करोड़ रुपये आवंटित कर चुकी है, ताकि देश की पहली क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) परियोजना को शुरू किया जा सके. NCRTC ने दावा किया है कि वह दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड रेल गलियारे का निर्माण करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. एनसीआरटीसी के अनुसार, वह भू-तकनीकी जांच, सड़क चौड़ीकरण कार्य, उपयोगिता मोड़, प्रारंभिक पाइल लोड परीक्षण जैसी पूर्व-निर्माण गतिविधियों की पहल कर चुकी है.

क्या है मामला

असल में दिल्ली-मेरठ ​रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) प्रोजेक्ट के अंडरग्राउंड स्ट्रेच बनाने के लिए सबसे ज्यादा रकम की बोली एक चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (STEC) ने लगाई है.

क्या कहा स्वदेशी जागरण मंच ने

यही नहीं, बीजेपी के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच (SJM) ने भी नरेंद्र मोदी सरकार से इस बोली को रद्द करने की मांग की है. चीन की सख्ती से मुखालफत करती रही स्वदेशी जागरण मंच ने सरकार से मांग की है कि इस ठेके को रद्द करते हुए इसे किसी भारतीय कंपनी को दिया जाए. मंच ने कहा कि यदि सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाना है तो ऐसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं में चीनी कंपनियों को शामिल होने का अधिकार ही नहीं देना चाहिए.

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