कोरोना काल में कैसे बुलाया जाए संसद का सत्र, सरकार की बढ़ी चिंता

दिल्ली: कोरोना काल में कैसे बुलाया जाए संसद का सत्र इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. क्योंकि आम दिनों में तो संसद का मॉनसून सत्र जुलाई अगस्त महीने में बुलाया जाता था. लेकिन इस बार कोरोना काल के चलते असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि आखिर संसद का सत्र कैसे बुलाया जाए. इसी बाबत राज्य सभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने राज्यसभा सचिवालय के अधिकारियों के साथ एक लंबी बैठक की, जिसमें यह चर्चा की गई कि मॉनसून सत्र किस तरह से बुलाया जाए जिससे कि सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन हो और संसद का सत्र भी बाधित ना.

वर्चुअल तरीके से सांसदों को जोड़ने पर हुई चर्चा

संसद का सत्र बुलाने को लेकर राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने सेक्रेटरी जनरल और अन्य अधिकारियों के साथ करीब 1 घन्टे तक बैठक की. बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि कैसे कोरोना काल में राज्यसभा का सत्र बुलाया जा सकता है. बैठक के दौरान चर्चा की गई कि कैसे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सदस्यों की सहभागिता बढ़ाई जा सकती है. इसके लिए संसद के सेंट्रल हॉल में बैठकर या बाल योगी ऑडिटोरियम में बैठकर वर्चुअल तरीके से राज्यसभा की कार्रवाई में हिस्सा ले सकते हैं.

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए राज्यसभा में अधिकतम 127 सांसद ही बैठ सकते हैं

बैठक के दौरान वेंकैया नायडू ने कहा कि आने वाले दिनों में वर्चुअल पार्लियामेंट की ज्यादा जरूरत पड़ेगी लिहाजा उसको लेकर तैयारी करना जरूरी है. बैठक के दौरान सामने आया कि राज्यसभा में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए और अगर मीडिया गैलरी को छोड़कर बाकी सभी सभी गैलरी का भी इस्तेमाल किया जाए तो अधिकतम 127 लोग बैठ सकते हैं. यानी कि बाकी के सदस्यों को सेंट्रल हॉल या बालयोगी ऑडिटोरियम के जरिए सदन की कार्रवाई में जोड़ा जा सकता है. इस दौरान राज्यसभा की मीडिया गैलरी में भी सामाजिक दूरी का पालन किया जाना चाहिए. रही बात है नए सदस्यों की शपथ ग्रहण की, क्वेश्चन आवर के दौरान सवाल पूछने की या फिर किसी बिल पर वोट करने की तो उस दौरान खास एहतियात बरतते हुए कदम उठाए जा सकते हैं.

इस बाबत एक हफ्ते में प्लान तैयार करने का निर्देश

वेंकैया नायडू ने अधिकारियों से कहा है कि इस बाबत में अगले एक हफ्ते में प्लान तैयार करें. इस बैठक का मकसद यह था कि राज्यसभा की कार्यवाही सुचारु रुप से चल सके उसके लिए पूरी तैयारियां की जा सके. जिससे कि जब भी सरकार तय करें कि संसद का सत्र बुलाना है तो उसमें किसी तरह का कोई व्यवधान ना हो.

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