आपदा को मुनाफ़े में बदल कर कमा रही है ग़रीब विरोधी सरकार, राहुल का मोदी सरकार पर तंज़

दिल्ली. कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने लॉकडाउन में श्रमिक ट्रेनों (Migrant Special Trians) द्वारा 428 करोड़ रुपये कमाई करने वाली एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए केंद्र की मोदी सरकार और रेल मंत्रालय पर निशाना साधा है. बता दें 24 मार्च से देश भर में लॉकडाउन लगने के बाद श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाईं. इस दौरान विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि श्रमिकों से किराया वसूला जा रहा है. हालांकि उस समय सरकार ने कहा था कि उनके किराये का कुल खर्च राज्य और केंद्र सरकार वहन कर रही है. अब इसी से जुड़ी एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल ने लिखा है कि- ‘बीमारी के ‘बादल’ छाए हैं, लोग मुसीबत में हैं, बेनिफ़िट ले सकते हैं.’

राहुल ने ट्वीट में सरकार को गरीब विरोधी बताते हुए लिखा कि – ‘बीमारी के ‘बादल’ छाए हैं, लोग मुसीबत में हैं, बेनिफ़िट ले सकते हैं – आपदा को मुनाफ़े में बदल कर कमा रही है ग़रीब विरोधी सरकार.’

राहुल का यह ट्वीट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के उस बयान से जुड़ा हुआ है, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक पर कहा था कि ‘आई एम नॉट अ पर्सन जो सारे विज्ञान को जानता हूं, लेकिन मैंने कहा इतने क्लाउड है, बारिश हो रही है तो एक बेनिफिट है कि हम रडार से बच सकते हैं.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार कोरोनो वायरस लॉकडाउन के दौरान फंसे हुए प्रवासी कामगारों को घर तक पहुँचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने पर रेलवे ने 2,142 करोड़ रुपये खर्च किए, लेकिन आधिकारिक डेटा में सिर्फ 429 करोड़ रुपये की आय हुई.

पीटीआई के अनुसार, गुजरात सरकार ने सबसे अधिक 102 करोड़ रुपये का भुगतान किया, जो कि 1,027 गाड़ियों में 15 लाख से अधिक प्रवासी कामगारों को उनके मूल राज्यों में वापस जाने के लिए किराए के रूप में दिया गया था.

इसके बाद महाराष्ट्र ने 844 ट्रेनों में 12 लाख श्रमिकों को वापस करने के लिए 85 करोड़ रुपये का भुगतान किया. तमिलनाडु ने 271 ट्रेनों में लगभग चार लाख प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्यों में लाने के लिए रेलवे को 34 करोड़ रुपये का भुगतान किया.

आम तौर पर उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों, जिन्हें प्रवासी श्रमिकों के लिए स्रोत राज्य माना जाता है. इन राज्यों प्रवासियों को लाने के लिए क्रमशः 21 करोड़ रुपये, 8 करोड़ रुपये और 64 लाख रुपये का भुगतान किया. एक्टिविस्ट अजय बोस द्वारा दायर एक आरटीआई आवेदन के जरिए मिले आंकड़ों से पता चलता है कि रेलवे ने 29 जून तक 428 करोड़ रुपये कमाए थे. इस दौरान 4,615 ट्रेनें चल चुकी थीं.

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