कोरोना के मारे उद्योग उबर रहे थे, अब किसान आंदोलन ने दिया झटका

कोरोनाकाल में बदहाल हुए उद्योग अभी उबर भी नहीं पाए थे कि किसान आंदोलन ने उनको फिर बड़ा झटका दे दिया है। दिल्ली-हरियाणा बार्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के कारण न तो फैक्टरियों में कच्चा माल पहुंच पा रहा है और न ही तैयार माल मार्केट में जा पा रहा है।

किसान आंदोलन से उद्यमियों को 70 प्रतिशत नुकसान झेलना पड़ रहा है।मीडिया में चली एक खबर के मुताबिक उद्योगपतियों का कहना है कि यदि यह मसला जल्द हल नहीं हुआ तो बहादुरगढ़ में उद्योग धंधे ठप हो जाएंगे और उद्यमियों का आर्थिक संकट से उबरना बड़ा मुश्किल हो जाएगा। 

बहादुरगढ़ क्षेत्र के एमआईई पार्ट-ए और बी में छोटी-बड़ी 2 हजार से अधिक और फुटवियर पार्क में भी 500 से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं। लगभग डेढ़ लाख लोग प्रतिदिन इन फैक्टरियों में काम करने के लिए पहुंचते थे। जब से किसान आंदोलन शुरू हुआ है मजदूरों व श्रमिकों का आना फैक्टरियों में न के बराबर है, जिससे फैक्टरियां चल नहीं पा रही हैं।

एमआईई के दोनों भागों से सामान ले जाना और पहुंचाना भी बेहद मुश्किल है। जूता व्यवसायी देवेंद्र गुप्ता और सुनील गर्ग का कहना है कि एमआईई में तो फैक्टरियां पूरी तरह से बंद हैं। फुटवियर पार्क में कुछ फैक्टरियां चल रही हैं। 

आठ दिनों में 30 प्रतिशत रह गया प्रोडक्शन
जूता उद्यमियों के मुताबिक 8 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन के कारण बहादुरगढ़ के फुटवियर इंडस्ट्री में मशीनें बंद हो गई हैं। आठ दिनों में केवल 30 प्रतिशत प्रोडक्शन ही हो पा रहा है। इससे खर्चे निकालने भी मुश्किल हो रहा है। न कच्चा माल आ रहा है और न ही तैयार माल मार्केट में सप्लाई हो पा रहा है।

ट्रांसपोर्ट की आ रही है सबसे बड़ी दिक्कत
किसान आंदोलन के कारण दिल्ली के टिकरी, झाड़ोदा और सिंघु बॉर्डर सभी सील हैं। इन बॉर्डर से गाड़ियां जाना तो दूर पैदल राहगीर भी नहीं जा पा रहे हैं। ट्रांसपोर्ट की आवाजाही बार्डर से न होने के कारण समस्या कहीं ज्यादा हो रही है। 

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