दिल्ली. देश के 40 हजार से ज्यादा व्यापारी संगठनों से जुड़े करीब 8 करोड़ व्यापारियों के अलावा ट्रांसपोटर्स भी आज जीएसटी के कुछ प्रावधानों के विरोध में अपना कारोबार बंद रख भारत व्यापार बंद में शामिल हुए हैं. इस बंद का मिला-जुला असर देखा जा रहा है. दरअसल, भारत बंद का आह्वान करने वाले प्रमुख व्यापारी संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की मांग है कि वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी (GST) के क्रियान्वयन और प्रणाली को आसान बनाया जाए. व्यापारियों का मत है कि बीते 4 सालों में जीएसटी में किए गए 950 संशोधनों से पहले व्यापारियों से कोई राय मशविरा नहीं किया गया और ना ही उनकी परेशानियों को जानने का कोई प्रयास किया गया.
आखिर क्या हैं वो प्रावधान, जिनका व्यापारी विरोध कर रहे हैं… कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने इन्हें समझाने की कोशिश की है.
-जीएसटीआर-1 में लायबिलिटी दिखाने पर और जीएसटीआर-3 बी में उसको नहीं लेने पर डिपार्टमेंट बिना नोटिस दिए डिफरेंस अमाउंट की वसूली कर सकता है और यह बैंक अकाउंट अटैच करके या किसी भी देनदार से डायरेक्ट रिकवर की जा सकती है.
जीएसटीआर-3 बी को दो महीने में फाइल न करने पर जीएसटीआर-1 फाइल नहीं कर सकते. ऐसा ना होने पर इनपुट क्रेडिट नहीं मिलता.
-दो महीने का जीएसटीआर 3बी फाइल नहीं करने पर ई-वे बिल जेनरेट नहीं कर सकते.
-किसी भी कारण से रिटर्न फाइल ना कर पाने पर विभाग सेक्शन 73 के अंदर नोटिस दे सकता है और इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर में जो क्रेडिट पड़ा है, उसका क्रेडिट आपको नहीं मिलेगा, बल्कि पूरी देय राशि पर ब्याज देना होगा.
-जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3 बी में अंतर पाए जाने पर डिपार्टमेंट बिना नोटिस या सुनवाई के जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर सस्पेंड कर सकता है. उसी तरह जीएसटीआर-3बी और जीएसटीआर-2 में अधिक डिफरेंस पाए जाने पर नंबर सस्पेंड किया जा सकता है.
-ई-वे बिल की वैलिडिटी प्रतिदिन 200 किलोमीटर कर दी गई है.
-ई-वे बिल में कुछ भी गलती होने पर टैक्स के अमाउंट की 200 प्रतिशत पेनाल्टी लगाई जाएगी और यह अमाउंट इलेक्ट्रोनिक कैश लेजर से भुगतान करना पड़ेगा. यह राशि नहीं भर पाने पर व्यापारी का माल जब्त कर लिया जाएगा. इसके खिलाफ अपील करने के लिए भी 25 पर्सेंट पेनाल्टी भरनी होगी. अपील पर हक में फैसला ना आने पर माल जब्त ही रहेगा.
-100 करोड़ से ऊपर की टर्नओवर वालों के लिए ई-इनवॉयस मैंडेटरी हो गया है. इनवॉइस इश्यू न करने पर उसका क्रेडिट नहीं मिलेगा.
-ई-इनवॉइसिंग की श्रेणी में आने पर इनवॉइस इश्यू करने के 72 घंटे के भीतर ई-वे बिल जेनरेट करना होता है. नहीं तो इनवॉइस को कैंसिल कर दूसरी इनवॉइस बनानी पड़ेगी.
-गलती से गलत इनपुट क्रेडिट लेने पर बैंक खाता सीज हो जाएगा.
-गलती से अधिक गलत इनपुट क्रेडिट लेने पर आपके लिए पोर्टल ही लॉक हो जाएगा.
-अधिकारी अपने खुद के विवेक के आधार पर कोई भी सर्वे या ऑडिट कर सकते हैं.
-एक ही प्रोडक्ट का क्लासिफिकेशन अलग-अलग राज्यों में एडवांस रूलिंग के तहत अलग-अलग किया जा रहा है. इसके लिए एडवांस रूलिंग अथॉरिटी का गठन नहीं किया गया है. इससे व्यापारी परेशान हैं.
-GST में 950 संशोधन होने के बावजूद अपीलेट ट्रिब्यूनल का गठन नहीं हुआ है. इस वजह से हर छोटे केस के लिए व्यापारी को हाईकोर्ट जाना पड़ता है.
-रिटर्न लेट भरे जाने पर बेशक निल रिटर्न होने पर लेट फी लगाई जाएगी.
-टैक्स से ज्यादा लेट फीस लगाई जाती है.
-जब तक जीएसटीआर-3 बी ना भरा जाए तब तक ब्याज लगता रहता है. चाहे क्रेडिट और कैश लेज़र में बैलेंस हो तो भी.