दिल्ली. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने शनिवार को सरकार की पुरानी बात दोहराते हुए कहा कि जिनके लिए किसान बीते 100 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं, सरकार उन तीन कृषि कानूनों (New Farm Laws) में संशोधन करने के लिए तैयार है. इस दौरान उन्होंने कानूनों के विरोध में उतरे विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा है. खास बात यह है कि दोनों पक्षों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक किसी ठोस मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई है. किसान लगातार कानून वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं.
एग्रीविजन के 5वें राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा ‘प्रदर्शन कर रहे किसानों की भावना का सम्मान करते हुए’ सरकार कानूनों में बदलाव करने को तैयार है. हालांकि, इस दौरान इस बात पर जोर दिया कि सरकार के इस प्रस्ताव का मतलब यह नहीं है कि इन कानूनों में कोई कमी है. केंद्रीय मंत्री ने बीते महीने राज्यसभा में यही बात कही थी. उन्होंने कहा कि बीते साल सितंबर में संसद में पास किए गए तीन कानून बाजार में किसानों को ज्यादा कीमत पाने में मदद करेंगे. साथ ही उन्होंने यह दावा किया है कि इससे कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा.
विपक्ष को लेकर तोमर ने कहा ‘लोकतंत्र में असहमति के साथ-साथ विरोध और मतभेदों के लिए जगह है, लेकिन क्या ऐसा भी विरोध भी होना चाहिए जो राष्ट्र को नुकसान पहुंचाए.’ उन्होंने विपक्षी दलों पर मुद्दे को सियासी बनाने के आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा ‘संसद में भी, मैंने केंद्र के पक्ष को सामने रखा. घंटों तक हमने दोनों सदनों में विपक्ष के नेताओं को सुना. राष्ट्रपति के संबोधन के बाद भी, वे केवल किसानों के विरोध प्रदर्शन पर बात कर रहे थे. उन्होंने कानूनों के बारे में बात नहीं की.’
केंद्रीय मंत्री ने कहा ‘यह मुझे दुखी करता है कि जब भी विपक्षी नेता जब बी नए कानूनों के बारे में बहस करते हैं, तो कभी उन बिंदुओं के बारे में बात नहीं करते, जिनका वे विरोध कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा ‘जब भी बदलाव होता है, तो उसे लागू करना मुश्किल होता है. कुछ लोग मजाक बनाते हैं, कुछ विरोध करते हैं. हालांकि, अगर बदलाव के पीछे नीति और मकसद सही है, तो लोग इन्हें मानेंगे.’
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई है रोक
सुप्रीम कोर्ट ने नए कृषि कानूनों के लागू होने पर फिलहाल रोक लगा रखी है. सरकार 18 महीनों के लिए कानूनों को सस्पेंड करने के लिए तैयार है, लेकिन किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े हुए हैं. किसानों के बीच न्यूनतम समर्थन मूल्य बड़े मुद्दों में से एक है. हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह साफ कर चुके हैं कि एमएसपी व्यवस्था यहीं रहेगी, लेकिन किसान आंदोलन खत्म करने के मूड में नहीं दिख रहे हैं.