2016 में की गई ऐतिहासिक नोटबंदी के बाद 500 रुपये और दो हजार रुपये के नए नोट शुरू किए गए थे। तब चलन में रहे 500 रुपये व एक हजार रुपये के नोटों का कालाधन बढ़ाने वाले बताकर बंद किया गया था, लेकिन 1000 रुपये का नोट बंद कर 2000 का शुरू करने पर सवाल उठे थे। अब चर्चा है कि दो हजार के नोट भी बंद किए जा सकते हैं। इस आशंका को इसलिए भी बल मिल रहा है, क्योंकि सरकार ने संसद में बताया है कि दो साल से 2000 का एक भी नया नोट नहीं छापा गया है।
वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को संसद को एक लिखित जवाब में बताया कि 30 मार्च 2018 को 2000 रुपये के 336.2 करोड़ नोट चलन में थे, जबकि 26 फरवरी 2021 को इनकी संख्या घटकर 249.9 करोड़ रह गई। बैंक नोटों की छपाई का फैसला जनता की लेन-देन की मांग को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक की सलाह पर लिया जाता है। 2019-20 और 2020-21 में 2000 रुपये के नोटों की छपाई का ऑर्डर नहीं दिया गया।
धीरे-धीरे कम की बड़े नोट की छपाई
इससे पहले रिजर्व बैंक ने 2019 में बताया था कि वित्त वर्ष 2016-17 में 2000 रुपये के 354 करोड़ नोटों की छपाई की गई थी। इसके बाद 2017-18 में केवल 11.15 करोड़ नोटों की छपाई हुई। 2018-19 में 4.669 करोड़ नोट छापे गए तो अप्रैल 2019 के बाद से एक भी नोट नहीं छापा गया।
कालेधन पर रोक का इरादा
वैसे 1000 रुपये का नोट बंद कर 2000 रुपये का शुरू करने का सरकार का फैसला अर्थविदों की नजर में हमेशा खटकता रहा है। उनका कहना था कि कालेधन के प्रसार को रोकने के लिए नोटबंदी की गई तो इतनी बड़ी राशि का नोट चालू करना कैसे उचित हो सकता है? अब माना जा रहा है कि सरकार दो हजार रुपये के नोट को भी बंद कर सकती है, ताकि कालेधन पर रोक लगाई जा सके।
बता दें, 8 नवंबर 2016 को पीएम मोदी ने नोटबंदी की ऐतिहासिक घोषणा की थी। तब 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर किया गया था। इसके बाद सरकार ने 500 व 2000 रुपये के नोट जारी किए थे।