नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के कोलकाता में सरकारी स्कूल के पांच टीचरों ने “दूर के इलाकों” में हुई ट्रांसफर के विरोध में शिक्षा विभाग के सामने कथित तौर पर जहरीला पदार्थ पी लिया. पांचों टीचरों की तबीयत बिगड़ने के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पुलिस ने बताया कि पांचों में से दो की हालत गंभीर है. टीचरों द्वारा खाए गए जहर के नमूने लेने के लिए फोरेंसिक विभाग की टीमें शाम को मौके पर पहुंची थीं. कांट्रेक्ट पर काम करने वाले टीचरों के लिए काम करने वाले शिक्षक एक्य मुक्त मंच ने नौकरी से संबंधित मांगों को लेकर कोलकाता के सॉल्ट लेक में शिक्षा विभाग के बिकाश भवन के सामने प्रदर्शन किया. जब पुलिस मौके पर पहुंची तो शिक्षकों ने मांग की कि उन्हें शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु से मिलने दिया जाए. हालांकि पुलिस ने उन्हें कोविड नियमों का हवाला देते हुए उन्हें जाने से मना कर दिया. शिक्षकों की उनके साथ झड़प भी हुई, जिसके बाद उन्होंने भूरे रंग की छोटी बोतलें निकालीं और उन्हें पी लिया.
वहीं खड़े लोगों और स्थानीय मीडिया के सामने एक ने कहा कि मैं पुतुल मंडल हूं. मैं सूर्य सेन शिशु शिक्षा केंद्र में पढ़ाता हूं. मेरा घर बक्खाली (दक्षिण बंगाल में) में है, मुझे कूच बिहार (उत्तर बंगाल में) के दिनहाटा में स्थानांतरित कर दिया गया है. हम ब्रत्य बोस से मिलना चाहते हैं. वे हैं, लेकिन हमसे मिल नहीं रहे इसलिए हम जहर पी रहे हैं.
दो टीचरों शिखा दास और ज्योत्सना टुडू को एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया है.इनकी हालत गंभीर बताई जा रही है. पुतुल जाना मंडल, चाबी दास और अनिमा रॉय को आरके मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
शिक्षकों ने 18 अगस्त को राज्य सचिवालय नबन्ना में भी प्रदर्शन किया था, जो एक उच्च सुरक्षा वाला इलाका है. सत लेक में प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने मंगलवार को दावा किया कि मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करने पर उन्हें दंडित किया जा रहा है. घटना के बाद राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु मौके पर पहुंचे और मामले को लेकर अधिकारियों से मुलाकात की.
तृणमूल के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि हमें उम्मीद है कि शिक्षक जल्द ही ठीक हो जाएंगे। लेकिन हमें यह भी देखना होगा कि क्या उन्होंने किसी के उकसावे पर कार्रवाई की. भाजपा प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि ये घटना दिखाती है कि यहां लोग कितने हताश हो रहे हैं, खासकर शिक्षक. इसके लिए सरकार जिम्मेदार है.सरकार को बंगाल में शिक्षकों की स्थिति पर गौर करना चाहिए. सरकार नौकरियां पैदा करने या रिक्त पदों को भरने में विफल रही ह. हम शिक्षकों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं.