नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) ने एक और रिकॉर्ड बनाया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना (Chief Justice NV Ramana) की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र सरकार को 12 हाईकोर्ट (High Courts) के जजों की नियुक्ति के लिए 68 नामों की सिफारिश की. इन हाईकोर्ट में अधिकांश में 50 प्रतिशत रिक्तियां हैं और भारी संख्या में मामले लंबित हैं. CJI रमना, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एएम खानविलकर के कॉलेजियम ने कई दिनों तक गहन विचार-विमर्श के बाद 113 नामों पर विचार किया और 68 नामों को इलाहाबाद, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, जम्मू और कश्मीर, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा, केरल, छत्तीसगढ़ और असम के उच्च न्यायालयों में नियुक्ति के लिए उपयुक्त पाया.
एक बार में 68 नामों की सिफारिश करने में कॉलेजियम ने बड़ी कवायद की. इसमें उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि, आय और प्रतिष्ठा और संवैधानिक पदों पर रहने के लिए उनके व्यवहार संबंधी उपयुक्तता की जांच शामिल है. नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित 68 नामों में से 44 वकील हैं और 24 जिला न्यायाधीश रैंक के वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी हैं. कॉलेजियम ने 16 नामों पर विचार करने को टाल दिया है, जिनमें से प्रत्येक के लिए विशिष्ट मुद्दों पर सरकार या अन्य अधिकारियों से आगे की जानकारी की प्रतीक्षा है. बाकी नामों को पुनर्विचार के लिए हाईकोर्ट कॉलेजियम वापस भेज दिया गया.
किस हाईकोर्ट में कितनी रिक्तियां?
दरअसल विभिन्न हाईकोर्ट में लगभग 60 लाख मामले लंबित हैं, लेकिन जजों के पद में 43 प्रतिशत रिक्तियां हैं. 1089 न्यायाधीशों की स्वीकृत शक्ति के मुकाबले 465 रिक्तियां हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट में 160 न्यायाधीशों की स्वीकृत शक्ति है, लेकिन इसमें 68 पद खाली हैं. 72 स्वीकृत शक्ति वाले कलकत्ता उच्च न्यायालय में 36 रिक्तियां हैं. बॉम्बे HC की 94 की स्वीकृत ताकत के मुकाबले, इसमें 33 रिक्तियां हैं. दिल्ली हाईकोर्ट में 50% से अधिक रिक्तियां हैं क्योंकि इसके 60 स्वीकृत न्यायाधीशों के पदों में से 31 रिक्त हैं. पटना में 64 प्रतिशत रिक्तियां हैं क्योंकि न्यायाधीशों के 53 स्वीकृत पदों में से 34 पद खाली हैं. राजस्थान HC में 50% से अधिक पद रिक्त हैं क्योंकि न्यायाधीशों के 50 में से 27 पद रिक्त हैं.
जजों की संख्या के मामले में तेलंगाना की स्थिति सबसे खराब
जजों की संख्या के मामले में तेलंगाना सबसे खराब स्थिति में है. इसमें जजों के 31 पद रिक्त हैं, जबकि 42 स्वीकृत पद या 74 प्रतिशत पद रिक्त हैं. गुजरात HC में 52 पदों की स्वीकृत संख्या में 50% खाली हैं. जजों के स्वीकृत 53 पदों के मुकाबले मध्य प्रदेश में 29 जज हैं. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में, जो स्वीकृत जजों की संख्या के मामले में देश में तीसरा सबसे बड़ा है, 80 जजों की अधिकतम संख्या के मुकाबले 40 रिक्तियां हैं. आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में 37 न्यायाधीशों की स्वीकृत शक्ति है लेकिन 18 पद खाली हैं.
68 सिफारिशों में कुल 10 महिलाएं
कॉलेजियम ने एक और इतिहास रचा है. अनुसूचित जनजाति की एक महिला न्यायिक अधिकारी मार्ली वानकुंग को गुवाहाटी उच्च न्यायालय में पदोन्नति के लिए मंजूरी दी है. वह मिजोरम राज्य की पहली हाईकोर्ट जज बनेंगी. इन 68 सिफारिशों में कुल मिलाकर 10 महिलाएं हैं.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच में पदोन्नति के लिए 9 नामों की सिफारिश की थी. नौ नामों को सरकार की तात्कालिक स्वीकृति मिली, जिसके कारण 31 अगस्त, 2021 को CJI द्वारा 9 नए जजों को एक बार में ऐतिहासिक शपथ दिलाई गई.