नई दिल्ली: गुजरात में शीर्ष पद छोड़ने के बाद विजय रूपाणी पिछले छह महीने में बीजेपी शासित राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में पद छोड़ने वाले चौथे नेता बन गए. रूपाणी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य में चुनाव से एक साल पहले पद छोड़ दिया. यह चुनाव बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा की बड़ी लड़ाई है क्योंकि यह सत्ता में अपने निरंतर तीसरे कार्यकाल को सुरक्षित करना चाहती है.
जुलाई में कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा ने इस्तीफा दिया था और उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत ने त्रिवेंद्र रावत की जगह लेने के मुश्किल से चार महीने बाद इस्तीफा दे दिया था. इसी क्रम में अब विजय रूपाणी का इस्तीफा आ गया. बीएस येदियुरप्पा ने उनके और उनके बेटे के खिलाफ नाराजगी के बाद इस्तीफा दे दिया था. पार्टी की राज्य इकाई के एक वर्ग ने उन्हें हटाने के लिए अथक जोर लगाया था.
उत्तराखंड में भी बीजेपी को पार्टी के अंदर इसी तरह के भारी विरोध के बाद त्रिवेंद्र रावत को बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा. उनके उत्तराधिकारी तीरथ सिंह रावत एक व्यवहारिक उत्तराधिकारी भी नहीं थे. तीरथ रावत का संक्षिप्त कार्यकाल विवादों से भरा रहा. बीजेपी के उत्तराखंड के नेताओं ने दिल्ली नेतृत्व से उनकी कुछ घोषणाओं पर जनता के गुस्से की शिकायत की थी, जिसमें अमेरिका के बारे में चौंकाने वाली टिप्पणी शामिल थी.
इसी तरह की स्थिति इस साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश में टल गई थी, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनकी सरकार द्वारा कोविड महामारी से निपटने में अक्षमता को लेकर पार्टी के भीतर ही आलोचना का सामना करना पड़ा था.
यूपी में बीजेपी ने वरिष्ठ नेता बीएल संतोष और राधा मोहन सिंह को हालात की जायजा लेने और समीक्षा करने के लिए भेजा था. इसके बाद पार्टी ने जोर देकर कहा कि आदित्यनाथ की जगह कोई और नहीं लाया जा रहा है, योगी आदित्यनाथ बीजेपी के सबसे हाई-प्रोफाइल और लोकप्रिय चेहरों में से एक हैं.
इससे पहले रूपाणी के त्यागपत्र को लेकर एएनआई ने यह कहते हुए उद्धृत किया था कि उन्होंने “नई ऊर्जा और शक्ति के साथ राज्य को और विकसित करने के लिए” इस्तीफा देने का फैसला किया. उन्होंने प्रधानमंत्री को उनके मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद भी दिया.” रूपाणी ने कहा कि “यह सर्वविदित है कि बीजेपी एक पार्टी के रूप में आवश्यकताओं के अनुसार बदलती रहती है … यह हमारी पार्टी की विशेषता है कि हर कार्यकर्ता अपना पूरा योगदान देता है, और मैं भी उसी ऊर्जा के साथ पार्टी के लिए काम करता रहूंगा.”
रूपाणी के इस्तीफे के बाद गुजरात में सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार एक ऐसे मोड़ पर आ गई है जहां तीन विकल्प हो सकते हैं – एक उत्तराधिकारी (और नया कैबिनेट) नियुक्त करें, राज्य में राष्ट्रपति शासन लग जाने दें या निर्धारित समय से बहुत पहले विधानसभा चुनाव कराए.