बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केन्द्र की महत्वाकांक्षी योजना आधार को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 38 दिनों तक चली लंबी सुनवाई के बाद 10 मई को मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. जिसके बाद कोर्ट ने आज फैसला सुनाते हुए कहा है कि बैंक खाते, मोबाइल फोन और स्कूल दाखिले में आधार की अनिवार्यता को रद्द कर दिया है . मोबाइल फोन का कनेक्शन देने के लिए टेलीकॉम कंपनियां आपसे आधार नहीं मांग सकती हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने आधार एक्ट के धारा 57 को खत्म कर दिया है. यानी अब कोई भी पेटीएम, निजी बैंक जैसी निजी कंपनी आधार की अनिवार्य मांग नहीं कर सकती हैं.
कोर्ट ने कहा है की UGC, NEET तथा CBSE परीक्षाओं के लिए आधार अनिवार्य नहीं होगा. कोर्ट की अनुमति के बिना बायोमीट्रिक डेटा किसी एजेंसी को नहीं दिया जाएगा, साथ ही स्कूल में दाखिले के लिए आधार कार्ड की आवश्यकता नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार के बायोमीट्रिक डेटा की नकल नहीं की जा सकती. साथ ही कोई प्राइवेट पार्टी भी डेटा नहीं देख सकती है. आधार का ऑथेंटिकेशन डाटा सिर्फ 6 महीने तक ही रखा जा सकता है. कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि सरकार जल्द से जल्द आधार कार्ड में डेटा प्रोटेक्ट करने के लिए कानून बनाए.
बैंक एकाउंट और मोबाइल सिम के लिए आधार कार्ड की आवश्यकता नहीं होगी, जबकि नागरिकों को PAN कार्ड बनवाने और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड देना अनिवार्य होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार को रेगुलर बिल की तरह पारित किया जा सकता है. 2016 में इसे मनी बिल के तौर पर पारित किया गया था.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए ख़ुशी जाहिर की है
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राजनैतिक प्रतिक्रिया पर भी एक नज़र डाल लेते है.