सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक व्यक्ति की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने द्रौपदी मुर्मू की जगह खुद को राष्ट्रपति बनाए जाने की मांग की थी. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने याचिकाकर्ता की याचिका को तुच्छ करारा दिया और कहा कि यह याचिका विचार करने योग्य नहीं है. इससे अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा. इसके साथ ही कोर्ट ने रजिस्ट्री से भविष्य में इस तरह की याचिका स्वीकार नहीं करने के लिए कहा.
इस दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई. बता दें कि इस याचिकाकर्ता का नाम किशोर जगन्नाथ सावंत है. वह खुद को पर्यावरणविद बताता है. सावंत द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उन्हें हालिया राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी गई. सावंत शीर्ष अदालत के सामने पेश हुए और कहा कि उन्हें सरकार की नीतियों से लड़ने का पूरा अधिकार है.
SC ने याचिका को तुच्छ करार दिया
सावंत ने कोर्ट से याचिका पर विचार करने के लिए कहा. उन्होंने इस दौरान श्रीलंका की स्थिति का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि श्रीलंका में कैसे पूर्व राष्ट्रपति को लोगों के विरोध के आगे झुकना पड़ा. इसके अलावा याचिकाकर्ता ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि अदालत मुझे अपना मामला रखने देगी और सरकार को यह एहसास कराएगी कि वे कहां गलत हैं. लोग बुनियादी चुनाव लड़ने से भी वंचित हैं.
इस पर जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ याचिका अपमानजनक थी. आपने भारत के राष्ट्रपति के खिलाफ किस तरह के अपमानजनक आरोप लगाए हैं? उन्होंने आगे कहा कि याचिकाकर्ता अपने विशेष ज्ञान के आधार पर भाषण दे सकता है, लेकिन इस तरह की याचिका दायर करना ठीक नहीं है.
मुझे राष्ट्रपति बनाओ, मैं अधिक योग्य उम्मीदवार
याचिकाकर्ता सावंत ने अपनी याचिका में कहा था, ‘राष्ट्रपति बनने के लिए मैं अधिक योग्य उम्मीदवार हूं, मुझे राष्ट्रपति बनाने का निर्देश दिया जाए. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की जगह अगर मुझे इस पद पर बैठाया गया तो मैं भारत और दुनिया के हित में काम करूंगा.’ याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में इन तीन बातों का जिक्र किया था.
पहला 2022 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए उन्हें एक निर्विवाद उम्मीदवार के रूप में माना जाए. दूसरा, भारत के राष्ट्रपति के रूप में उनकी नियुक्ति के लिए निर्देश दिया जाए और तीसरा 2004 से पिछले राष्ट्रपतियों को भुगतान किए गए वेतन के भुगतान के लिए निर्देश दिया जाए.