राजधानी दिल्ली में हर बढ़ते दिन के साथ हवा और भी अधिक जहरीली होती जा रही है. मंगलवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर श्रेणी में पहुंच गया. इस साल में पहली बार है जब AQI 424 के अंक पर पहुंचा है. इसे पहले इस साल में दो जनवरी के दिन ही एक्यूआई 400 के अंक से ऊपर पहुंचा था. पूरा दिन आसमान के ऊपर एक अलग धुंध और धुएं की परत छाई रही. ये कहना गलत नहीं होगा कि इस समय दिल्ली के लोग साल के सबसे ज्यादा भयावह प्रदूषण का सामना कर रहे हैं. बीते छह दिनों से लगातार हवा बेहद खराब श्रेणी में चल रही थी.
दिल्ली का 24 घंटे का AQI मंगलवार शाम 4 बजे 424 था, जो पिछले साल 26 दिसंबर के बाद सबसे खराब था, जब यह 459 था.केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, 2 जनवरी जब एक्यूआई 404 था, के बाद इस साल दिल्ली में यह दूसरा ‘गंभीर’ वायु गुणवत्ता दिन रहा है. बता दें कि 400 से ऊपर एक्यूआई को ‘गंभीर’ माना जाता है और यह स्वस्थ लोगों को प्रभावित कर सकता है और पहले से बीमार व्यक्तियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है.
दिल्ली में बुराड़ी की हवा सबसे खराब, नोएडा भी ‘गभीर’ श्रेणी में पहुंचा
बुराड़ी क्रॉसिंग एरिया में सबसे ज्यादा एक्यूआई दर्ज किया गया. यहां एक्यूआई 477 दर्ज किया गया, बवाना में 465, वजीरपुर में 467, नरेला में 465, विवेक विहार में 457, रोहिणी में 462, जहांगीरपुरी में 475, सोनिया विहार में 469 और अशोक विहार में 465 में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में रही. इसी के ही साथ कल एनसीआर में भी हवा काफी प्रदूषित रही. दिल्ली के पड़ोसी शहर नोएडा का वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ श्रेणी के तहत 406 रहा, जबकि गुरुग्राम का एक्यूआई 346 रहा.
सीपीसीबी के अनुसार, कई क्षेत्रों में पीएम 2.5 यानी फेफड़ों को नुकसान पंहुचा सकने वाले सूक्ष्म कणों की सांद्रता 450 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक रही, जो 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से लगभग आठ गुना अधिक है. 61 से 120 तक पीएम 2.5 का स्तर ‘मध्यम से खराब’, 121 से 250 को ‘खराब’, 251 से 350 को ‘बहुत खराब’ और 350 से अधिक को ‘गंभीर’ माना जाता है.
शुक्रवार के बाद राहत मिलने के आसार
भारत मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक दिल्ली के लोगों को अभी दो दिन तक और ऐसी ही जहरीली प्रदूषित हवा में सांस लेना पड़ेगा. वायु गुणवत्ता में हल्का परिवर्तन बुधवार की शाम को देखने को मिल सकता है, लेकिन शुक्रवार के बाद पश्चिमी विक्षोभ के चलते हवा की दिशा में बदलाव होगा और पश्चिमी हवाएं चलेंगी. इसके साथ ही हवा की रफ्तार भी थोड़ा तेज होगी. इससे प्रदूषक कणों का बहाव तेज होगा और लोगों को दमघोंटू हवा से राहत मिलेगी.
पराली जलाने के मामलों में हो रही है बढ़ोतरी
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के एक विश्लेषण के अनुसार, राजधानी में लोग एक नवंबर से 15 नवंबर के बीच सबसे खराब हवा में सांस लेते हैं. इस अवधि में पराली जलाने की घटनाएं चरम पर होती हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने सोमवार को पंजाब में पराली जलाने की इस मौसम में अब तक सर्वाधिक 2131 घटनाएं दर्ज की. मंगलवार को 1842 घटनाएं दर्ज की गई हैं. प्रदूषण के स्तर के बिगड़ने के साथ, केंद्र के वायु गुणवत्ता पैनल ने शनिवार को प्राधिकारियों को आवश्यक परियोजनाओं को छोड़कर, दिल्ली-एनसीआर में निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने और ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के चरण तीन के तहत अन्य प्रतिबंधों को लागू करने का निर्देश दे दिया था. केवल आवश्यक परियोजनाओं को ही छूट दी जाएगी.