दिल्ली के बवाना में 14 सितंबर, 2009 को नितिका लाकरा नाम की युवती का मर्डर कर दिया गया था. उसकी उम्र उस समय 21 साल थी और वह दिल्ली यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट थी. उसकी हत्या के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था. उन्हें ट्रायल कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई, लेकिन बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने उनको रिहा कर दिया था. इसके बाद से ही उसके पिता विजेंद्र अपनी बेटी के हत्यारों को सजा दिलाने की कोशिश कर रहे हैं. इस बात को 13 साल हो गए हैं. अब वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं.
नितिका लाकरा की 14 सितंबर, 2009 को बवाना में अदिति महाविद्यालय जाने के लिए सुबह 9 बजे घर से निकली थी. वह आमतौर पर रोजाना शाम 4 बजे तक घर आ जाती थी, लेकिन उस दिन वह वापस नहीं लौटी. ऐसे में उसका परिवार परेशान हो रहा था. उन्होंने घर के आसपास उसकी तलाश की. रिश्तेदारों से भी पूछा गया. लेकिन उसका कहीं भी पता नहीं चला. इसके बाद पिता ने पुलिस में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई.
घर के पास मकान में मिली थी लाश
इसके बाद नितिका के पिता के पास एक कॉल आई. इसमें कहा गया कि उनकी बेटी की हत्या कर दी गई है. उसकी लाश घर के पास के एक मकान में है. इस पर उन्होंने तुरंत पुलिस को फोन करके इसकी सूचना दी. पुलिस मौके पर पहुंची तो मकान का ताला तोड़ा गया. अंदर एक पिस्टल, उसकी मैगजीन और एक कार मिली. दूसरे कमरे में काले पॉलीथीन बैग में नितिका की लाश थी. मामले में तीन लोगों यशू, विनीत और सुनील कुमार को गिरफ्तार किया गया. इनमें हत्या समेत कई अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया था.
ट्रायल कोर्ट ने दी उम्रकैद, हाईकोर्ट ने किया रिहा
ट्रायल कोर्ट ने तीनों को उम्रकैद की सजा सुनाई. लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने बाद में उन्हें रिहा कर दिया. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार नितिका के पिता ने कहा है कि वह जब तक जिंदा हैं, तब तक बेटी को न्याय दिलाने के लिए लड़ते रहेंगे. उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि अगर मुझे कोर्ट में केस और वकील को फीस देने के लिए अपनी जमीन भी बेचनी पड़ी तो मैं ये करूंगा. मैं अपनी बेटी के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए सबकुछ करूंगा.’