बीजेपी ने इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयागराज किए जाने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ख़ुशी जाहिर की है. इससे पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि जिस मानसिकता से अकबर ने प्रयागराज का नाम इलाहाबाद किया था, उसी मानसिकता के लोग आज उसका नाम प्रयागराज होने पर विरोध कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी द्वारा सभी प्रमुख जगहों के नाम को मुगलो के नाम की जगह भारतीय सभ्यता से जुड़े नाम रखने की पहल को आगे बढ़ाते हुए ” प्रयागराज पर लोगों की प्रतिक्रियाएं देख कर मन गदगद हो गया.. ख़ैर ये तो अभी शुरूआत है हमारी.. आगे ऐसे-ऐसे झटके मिलते रहेंगे, आदत डाल लीजिये” .
आपको बता दे कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने जिस तरह का कदम उठाया है उस तरह का कदम अन्य राज्यों में भी उठाए जाने की मांग उठती रही है. गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा और तेलंगाना के प्रमुख शहरों के नाम बदलने की मांग लंबे समय से उठती रही है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस बयान के बाद आप तैयार हो जरिये देश के कुछ और जगहों के नामकरण की तैयार होने वाली है. लेकिन सवाल यह उठता है कि केवल नाम बदल देने से शहर का रूप बदल जायेगा? क्या बदले गए शहर की तर्स्वीर बदल जाएगी, क्या शहर के सड़के अस्पताल पानी बिजली रोज़गार की समस्याएं ख़त्म हो जाएंगी?या फिर केवल नाम बदलने की राजनीती में जनता के करोड़ो रुपये केवल पानी में बहा दिए जायँगे? अगर नाम बदल लेने से यह सब बदल सकता है तो यह अच्छी बात है.