सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामले में दोषसिद्धि होने पर स्वत: सदस्यता रद्द होने के कानून को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. शीर्ष अदालत में इस कानून को चुनौती दी गई थी. याचिका में कहा गया कि स्वत: अयोग्यता रद्द होने वाला कानून अवैध और मनमानी है. हालांकि, Supreme Court ने जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों पर विचार से इनकार कर दिया. इस याचिका को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अयोग्यता को आधार बनाकर दाखिल किया गया था
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में मार्च में भी एक जनहित याचिका दायर की गई थी. इस याचिका को राहुल गांधी की सदस्यता जाने के एक दिन बाद दायर किया गया था. ये याचिका निर्वाचित प्रतिनिधियों की ‘स्वत: अयोग्यता’ के खिलाफ दायर की गई थी. याचिका में कहा गया कि 1951 अधिनियम के अध्याय III के तहत अयोग्यता पर विचार करते समय प्रकृति, मामले की गंभीरता, नैतिकता और आरोपी की भूमिका जैसे फैक्टर्स भी जांच जाने चाहिए.
मार्च में अयोग्य घोषित हुए राहुल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मार्च में लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई थी. सूरत की अदालत ने उन्हें मानहानि के मामले में दोषी पाया था. लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी किए गए नोटिस में कहा गया था कि वह 23 मार्च को ही अयोग्य हो गए थे, क्योंकि उसी दिन उन्हें दोषी पाया गया था.
राहुल गांधी को ‘मोदी सरनेम’ वाले मामले में दोषी पाया गया था. राहुल की सदस्यता जाने के बाद सांसदों के डिस्क्वालिफिकेशन की प्रक्रिया पर भी सवाल उठने लगे थे. देश की तमाम विपक्षी पार्टियों ने उनकी सदस्यता जाने का विरोध जताया था.
दूसरी ओर, झारखंड की एक अदालत ने 2019 के ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में राहुल गांधी को झटका दिया है. राहुल ने अदालत में निजी तौर पर पेश होने से छूट मानी थी. हालांकि, अदालत ने उन्हें छूट देने से इनकार कर दिया.