प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार 9 साल पूरे करने जा रही है. इस दौरान पीएम मोदी ने सफलता के नए आयाम रचे. लोकसभा चुनावों में प्रचंड जीत हासिल की तो राज्यों में भी जीत का परचम लहराया. देश ही नहीं विदेश में भी धूम रही
नौ साल में एक के बाद एक कई मोर्चों पर मोदी सरकार सफल साबित हुई. ऐसे बहुत ही कम मौके आए, जब सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया तो खूब विरोध हुआ. आशंका जताई गई कि हिंसा-प्रदर्शन होगा. मगर केंद्र सरकार ने कदम पीछे नहीं खींचे. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर लोग लंबे समय तक सड़क को घेरे बैठे रहे. देशभर में प्रदर्शन हुए, लेकिन सरकार अपने फैसले से नहीं डिगी. मगर एक मौके पर केंद्र सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े.
तीन कृषि कानून
केंद्र सरकार ने जून 2020 में तीन कृषि विधेयकों को संसद में पेश किया. 14 सितंबर को अध्यादेश पेश कर दिया गया. तीन दिन बाद ही लोकसभा में इसे मंजूरी मिल गई. राज्यसभा में भी पास होते इसे देर नहीं लगी. 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने भी इस पर मुहर लगा दी. इस तरह तीन नए कृषि कानून लागू हो गए. पहले कानून के तहत किसान कहीं भी अपनी फसल को बेच सकता है. किसी भी लाइसेंसधारी के पास किसानों से फसल खरीदने का अधिकार होगा.
दूसरा कानून में अनुबंध खेती और अपनी फसल को अपनी मर्जी से बेचने की बात करता है. इसमें कहा गया था कि अगर किसान की फसल को नुकसान होता तो एग्रीमेंट करने वाली कंपनी इसकी भरपाई करती. तीसरे कानून आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम के तहत व्यापार के लिए दाल, प्याज, तेल और अनाज पर से स्टॉक लिमिट हटा दी गई थी.
देशभर के किसानों का दिल्ली जुटना शुरू
इन कानूनों के विरोध में नवंबर 2020 में किसान जुटना शुरू हो गए. देशभर के किसान एक साल 4 महीने और 2 दिनों तक दिल्ली के बॉर्डर पर धरना देकर बैठे रहे. लंबा संघर्ष चला. उनका विरोध तीन कृषि कानूनों को लेकर था. किसानों का कहना था कि मोदी सरकार जो कानून ला रही है, उससे सिर्फ कॉरपोरेट्स को ही फायदा होगा. किसानों की मांग एक और थी कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय किया जाए.
केंद्र सरकार हालांकि इस बात पर अड़ी रही कि यह कानून किसानों के हित में है और उन्हें इससे फायदा होगा. जैसे ही यह कानून संसद में पेश किया गया, देशभर के किसानों ने दिल्ली की सीमा पर जुटना शुरू कर दिया. दिल्ली के सभी बॉर्डर पर किसान धरना देकर बैठ गए. कई दौर की बातचीत हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया. केंद्र सरकार ने कई टीमों का गठन किया, लेकिन किसान अपनी बात पर अड़े रहे.
वापस लिया गया कानून
किसानों के लंबे विरोध को देखते हुए मोदी सरकार ने 19 नवंबर 2021 को तीनों कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी. गुरु पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने ऐलान किया कि वह तीनों कृषि कानूनों को निरस्त कर रही है.