दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को रिटायर्ड मेजर जनरल वीके सिंह की CBI द्वारा उनके खिलाफ 2007 में प्रकाशित पुस्तक में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानि RAW के बारे में कुछ अहम और गुप्त जानकारी प्रकाशित करने के आरोपों में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग को ख़ारिज़ कर दिया. 2002 में रिटायर्ड होने के बाद, वीके सिंह ने जून 2007 में ‘इंडियाज एक्सटर्नल इंटेलिजेंस- सीक्रेट्स ऑफ रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW)’ नामक की किताब प्रकाशित की थी. उसके बाद CBI द्वारा एक FIR दर्ज की गई और 2008 में कोर्ट में एक शिकायत दी गई थी.
रिटायर्ड मेजर जनरल वी.के. सिंह के खिलाफ मामला भारत सरकार के एक उप सचिव, कैबिनेट सचिवालय द्वारा शुरू किया गया था. अधिकारी गोपनीयता अधिनियम, 1923 के तहत वीके सिंह और एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी. CBI की शिकायत यह थी कि किताब में अधिकारी के नाम, उनकी जगाहों स्थानों के स्थान और GoM की सिफारिशों आदि का खुलासा किया गया था.
दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने वीके सिंह की FIR, शिकायत और चार्जशीट को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह गवाहों की जांच के बाद ट्रायल का मामला होगा कि क्या किताब में किए गए खुलासे से भारत की सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता प्रभावित होने की संभावना है.
गोपनीयता अधिनियम के तहत अपराध
कोर्ट ने कहा कि यह भी ध्यान दिया जा सकता है कि खुद याचिकाकर्ता की राय थी कि दो अन्य लेखकों और प्रकाशकों द्वारा समान रहस्योद्घाटन आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत एक अपराध है और इस प्रकार शिकायत दर्ज की गई जिसमें संबंधित चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा संज्ञान लिया गया था, हालांकि इस कोर्ट के समक्ष एक चुनौती पर इसे खारिज कर दिया गया क्योंकि सक्षम प्राधिकारी द्वारा शिकायत दर्ज नहीं की गई थी.
मामले पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता रिटायर्ड जनरल वीके सिंह की ओर से उनके वकील डॉ. बी.के.सुबाराव, चंदर एम. मैनी, बी.के. वाधवा और मयंक मैनी पेश हुए और CBI की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अनुपम एस. शर्मा और वकील प्रकाश ऐरन, हरप्रीत कलसी, रिपुदमन शर्मा, अभिषेक बत्रा ने CBI का पक्ष रखा था.