छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा की याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव केवल रूटीन के काम निपटाएंगे और कोई नीतिगत फैसला नहीं लेंगे. कोर्ट ने कहा कि अदालत की निगरानी में सीवीसी की जांच दो सप्ताह के भीतर पूरी की जानी चाहिए. जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एके पटनायक करेंगे. साथ ही अदालत ने सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और एनजीओ कॉमन कॉज की याचिकाओं पर सीबीआई और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. साथ ही कोर्ट ने कहा है कि नागेश्वर राव ने 23 अक्टूबर की नियुक्ति की तिथि से आज तक ट्रांसफ़र-पोस्टिंग या किसी भी तरह के फ़ैसले लिए है वे सब सीलबंद लिफ़ाफ़े में अगली सुनवाई पर कोर्ट मे पेश किए जाएं.
मालूम हो कि सीबीआई (CBI) में रिश्वत कांड के बाद उठी अंदरूनी कलह के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया गया. ज्वाइंट डायरेक्टर एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक बनाया गया. सीबीआई के वर्तमान स्पेशल निदेशक राकेश अस्थाना समेत चार लोगों के खिलाफ खुद सीबीआई ने रिश्वत लेने का मुकदमा दर्ज कर लिया. सीबीआई ने इस मामले मे अपने ही डीएसपी देवेंद्र कुमार पर छापा मार कर आठ मोबाइल फोन बरामद किए. डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया,
बताया जा रहा है कि हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग कारोबारी मोइन कुरैशी को क्लीन चिट देने में कथित घूस लेने के आरोपों पर सीबीआई ने अपने ही स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर केस दर्ज किया. जिसके बाद राकेश अस्थाना ने सीबीआई चीफ आलोक वर्मा पर भी दो करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप लगा दिया. दोनों शीर्ष अफसरो के बीच जारी आरोप-प्रत्यारोप से सीबीआई की विश्वसनीयता पर उठते सवालों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर यह कार्रवाई हुई.