मणिपुर मामले को लेकर संसद में हंगामा बरपा हुआ है. सदन की कार्यवाही नहीं चल पा रही है. इस बीच आम आदमी पार्टी (AAP) नेता व राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि सोमवार को लगभग राज्यसभा के 65 सांसदों ने मणिपुर पर चर्चा का नोटिस दिया और यह कहा कि मणिपुर पर एक विस्तार से चर्चा संसद के भीतर होनी चाहिए. अगर सत्ता पक्ष चर्चा करने के लिए प्रतिबद्ध है तो उन 65 नोटिस में से किसी एक नोटिस पर भी स्वीकृति दे और चर्चा शुरू हो जाएगी.
उन्होंने कहा कि केवल सदन में यह चिल्लाने से कि हम चर्चा चाहते हैं, इससे चर्चा नहीं होगी देश के इतिहास में पहली बार राज्यसभा के 65 सांसदों ने 267 का नोटिस दर्ज कर के कहा कि हमारा बॉर्डर स्टेट मणिपुर जल रहा है और मणिपुर के विषय में चर्चा हो, लेकिन सरकार चर्चा नहीं चाहती. मानसून का सत्र 20 जुलाई को शुरू हुआ था आज 31 जुलाई है. 11 दिन गुजर गए सत्र शुरू हुए, इन 11 दिनों में अगर सरकार एक दिन भी मणिपुर पर चर्चा करवा लेती तो बाकी के वर्किंग डेज बच जाते.
राघव चड्ढा ने कहा कि आज उस समय के विरोधी दल के नेता अरुण जेटली और लोकसभा में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज के कथन की याद आती है. उन्होंने कहा था कि कभी-कभी सदन में विपक्ष की आवाज सुनाई जाने के लिए अगर आपको अपनी आवाज बुलंद करनी पड़े तो उसे लोकतंत्र मजबूत होता है, लोकतंत्र कमजोर नहीं होता. इस कथन का हवाला देते हुए हम चेयरमैन से हाथ जोड़कर विनती करना चाहेंगे कि मणिपुर के विषय पर चर्चा हो. जब भी एक विषय पर लंबी चर्चा होती है तो संसदीय कन्फेक्शन यह कहता है कि देश के प्रधानमंत्री आकर उस बहस में हिस्सा लेते हैं.
पीएम संसद आकर बताएं सरकार मणिपुर पर क्या कर रही है- राघव चड्ढा
उन्होंने कहा कि अभी बताया गया कि देश के कई प्रधानमंत्रियों ने सदन के भीतर जब भी रूल 267 के हिसाब से बहस हुई है तब आकर अपना वक्तव्य दिया है. जवाहरलाल नेहरू से लेकर डॉक्टर मनमोहन सिंह तक तमाम प्रधानमंत्री सदन के भीतर आए और अपना वक्तव्य दिया, इसलिए हम चाहेंगे कि सरकार के मुखिया होने के तौर पर प्रधानमंत्री भी पार्लियामेंट में आएं और दोनों में से जो भी सदन उन्हें पसंद है उसमें आकर मणिपुर पर अपनी बात रखें. सरकार इस मुद्दे पर क्या करने जा रही है इसको पूरे देश को बताएं.