चंद्रयान-3 अब चांद की सतह से कुछ ही दूरी पर है. इसरो ने यान का एक बार फिर ऑर्बिट बदला है ताकि यह चांद के और भी करीब पहुंच सके. स्पेस एजेंसी ने बताया कि अगली बार यह प्रक्रिया 9 अगस्त को की जाएगी. जैसे-जैसे यान सतह के करीब पहुंच रहा है इसरो को चांद के नजारे भी दिखा रहा है. ऑर्बिट में प्रवेश करने के दौरान चंद्रयान ने एक वीडियो भी रिकॉर्ड की. इसरो ने सोशल मीडिया पर इस मनमोहक नजारे को शेयर किया. चंद्रयान-3 अभी 170KM x 4313KM की दूरी पर है.
भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने बताया कि 17 अगस्त तक चांद के करीब जाने के लिए ऑर्बिट बदलने की और भी प्रक्रियाएं पूरी की जाएगी. इसके बाद यान का लैंडिंग मॉड्यूल जिसमें लैंडर और रोवर शामिल है, प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएगा. फिर लैंडर अपने आखिरी चरण में पहुंच जाएगा. लैंडिंग से पहले लैंडर की डी-ऑर्बिटिंग की प्रक्रिया शुरू की जाएगी और इसके कुछ देर बाद लैंडर अपने डेस्टिनेशन चांद के साउथ पोल पर उतर जाएगा.
23 अगस्त को लैंडिंग का टार्गेट
चांद के दक्षिण में लैंडिंग की भारत की यह दूसरी कोशिश है. अगर इसरो को कामयाबी मिलती है तो यहां लैंडिंग करने वाला भारत पहला देश होगा. स्पेस एजेंसी का 23 अगस्त को लैंडर को सतह पर उतारने का टार्गेट है. चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को लैंडिंग के बाद पांच बार पुश दिया गया है, जिससे यह धरती से और भी दूर होता जा रहा है और चांद के करीब पहुंच रहा है. इसरो की सबसे पहली कोशिश होगी कि वो सॉफ्ट लैंडिंग में कामयाबी हासिल करे. इसके बाद इस मिशन का असल काम शुरू होगा.
साउथ पोल को एक्सप्लोर करेगा चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 चंद्रयान सीरीज का तीसरा यान है. मसलन, 2008 में चंद्रयान-1 ने साउथ पोल पर पानी की खोज की थी. बताया था कि चांद पर दिन के समय में वातावरण होता है. ऐसे में भारत ने 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च किया और साउथ पोल के एक्सप्लोरेशन का टार्गेट रखा. हालांकि, लैंडिंग के दौरान को निराशा हाथ लगी. अब एक बार फिर भारत ने चांद के उसी क्षेत्र में लैंडिंग का टार्गेट रखा है. यहां अंधेरा होता है, जिससे लैंडिंग मुश्किल होती है. चंद्रयान-3 इसी में उम्मीद है कि कामयाबी हासिल करेगा, और साउथ पोल को एक्सप्लोर कर बताएगा कि क्या यहां किसी तरह का ल्यूनर बेस स्थापित किया जा सकता है या नहीं.