दिल्ली सर्विस बिल लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी पास हो गया है. दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2023 सोमवार को ऊपरी सदन से पारित हुआ. ये बिल अब कानून का रूप लेगा. राज्यसभा में बिल के पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 वोट पड़े. राज्यसभा से बिल का पास होना मोदी सरकार के लिए एक बड़ी जीत है, क्योंकि आम आदमी पार्टी ने बिल को गिराने के लिए पूरा दम लगा दिया था. सीएम केजरीवाल समर्थन मांगने के लिए गैर NDA दलों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात की थी.
बता दें कि राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं जिसमें 8 रिक्त हैं. इसका मतलब है कि राज्यसभा में मौजूदा स्थिति में 237 सीटें हैं. बिल को पास कराने के लिए सरकार को 119 वोटों की जरूरत थी. सदन में NDA के पास 112 सांसद हैं. उसे नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनत दल के 9 सांसदों का भी समर्थन मिला. इसके अलावा आंध्र प्रदेश की YSR कांग्रेस के 9 सांसदों का भी सपोर्ट मिला है. यही नहीं चंद्रबाबू नायडू की TDP ने भी मोदी सरकार का साथ दिया. NDA के 112 और बीजेडी (9)-YSR (9) कांग्रेस और टीडीपी (1) का समर्थन मिलने के बाद उसे 131 वोट मिले.
सीएम केजरीवाल का सरकार पर निशाना
बिल के पास होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मोदी सरकार पर जमकर बरसे. उन्होंने इसे काला दिन बताया. सीएम ने कहा कि आज का दिन भारत के इतिहास में काला दिन साबित हुआ. आज दिल्ली के लोगों को गुलाम बनाने वाला बिल पास कर दिया गया. जब हम आजाद नहीं हुए थे 1935 में अंग्रेजों ने कानून बनाया था उसमें ये लिखा था कि चुनाव तो होंगे लेकिन चुनी हुई सरकार को काम करने की शक्तियां नहीं होंगी. जब आज़ादी मिली तो संविधान में लिखा कि चुनी हुई सरकार को काम करने की आज़ादी होगी. आज 75 साल बाद मोदी जी ने आज़ादी छीन ली. दिल्ली के लोगों के वोट की कोई कीमत नहीं बची है.
सीएम केजरीवाल ने आगे कहा, ’11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत एक जनतंत्र है जिसमें जनता सरकार चुनती है और सरकार को काम करने की ताकत होनी चाहिए. एक हफ्ते के अंदर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलट दिया गया और अध्यादेश ले आए. इस कानून में लिखा है कि जनता किसे भी चुने लेकिन सरकार उपराज्यपाल और मोदी जी चलाएंगे. जिस देश के प्रधानमंत्री सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते तो उस देश का क्या भविष्य हो सकता है.’
विधेयक राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के बाद एक अधिनियम बन जाएगा. ये दिल्ली सरकार की शक्तियों को महत्वपूर्ण रूप से कम कर देगा और उपराज्यपाल की शक्तियों को बढ़ा देगा. विधेयक में अफसरों की पोस्टिंग और नियंत्रण के संबंध में निर्णय लेने के लिए एक राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के निर्माण का प्रावधान है. हालांकि समिति की अध्यक्षता मुख्यमंत्री करते हैं, लेकिन समिति में दिल्ली के मुख्य सचिव और गृह सचिव भी हैं. निर्णय बहुमत से लिए जाने हैं. इसके अलावा, विधेयक के अनुसार, समिति चरण के बाद भी अंतिम फैसला उपराज्यपाल का होगा, जिससे निर्वाचित सरकार को फिर से नुकसान होगा.