सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को आदेश दिया है कि वो शिवसेना के बागी विधायकों की अयोग्यता को लेकर 31 दिसंबर तक फैसला दें. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे का बड़ा बयान सामने आया है. उद्धव ठाकरे ने कहा है कि 31 दिसंबर को शिंदे सरकार की विदाई हो जाएगी. 31 दिसंबर को साल 2023 खत्म होने के साथ ही महाराष्ट्र की अयोग्य शिंदे सरकार का आखिरी दिन होगा.
’31 दिसंबर तक विधायकों की अयोग्यता पर फैसला करें स्पीकर’
दरअसल मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके 39 समर्थकों ने शिवसेना से बगावत कर बीजेपी का दामन थाम लिया था और पार्टी दो धड़ों में बंट गई थी. इसके बाद ठाकरे गुट और शिंदे गुट ने एक दूसरे के खिलाफ कोर्ट में विधायकों की अयोग्यता को लेकर याचिका दायर की थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को आदेश दिया कि वो 31 दिसंबर या उससे पहले दोनों गुटों के विधायकों की अयोग्यता पर फैसला करें.
‘महाराष्ट्र में 31 दिसंबर को शिंदे सरकार की होगी विदाई’
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उद्धव ठाकरे ने अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने अपने विधायकों के साथ ही विधान परिषद के सदस्यों सुप्रीम कोर्ट का आदेश पढ़कर सुनाने को भी कहा. उन्होंने कहा कि 31 दिसंबर को महाराष्ट्र की अयोग्य सरकार को अलविदा कह दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने साफ कहा है कि संविधान की 10वीं अनुसूची की पवित्रता को बरकरार रखा जाना चाहिए.
अयोग्यता संबंधी याचिकाओं पर फैसला लेने में न हो देरी- SC
उधर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने विधायकों की अयोग्यता को लेकर कहा कि प्रक्रियात्मक उलझनों के कारण अयोग्यता संबंधी याचिकाओं पर फैसला लेने में देरी नहीं होने देनी चाहिए. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष से अजित पवार गुट के नौ विधायकों को सदन की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के अनुरोध वाली एनसीपी की याचिका पर भी 31 जनवरी 2024 तक फैसला लेने को कहा है.
महाराष्ट्र के सचिवालय ने मांगा था फरवरी तक का समय
हाल ही में महाराष्ट्र के सचिवालय की तरफ से कोर्ट में एक एफिडेविट दायर किया गया था, जिसमें उसने दिवाली की छुट्टियां और विधानसभा के शीतकालीन सत्र का हवाला देते हुए इस मामले में फैसले के लिए 29 फरवरी 2024 तक का समय मांगा था, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इसके लिए इतना लंबा इंतजार करने की जरूरत नहीं है. दिवाली और सत्र को छोड़कर 30 दिन है, इसीलिए 31 दिसंबर तक विधानसभा अध्यक्ष इस पर फैसला लें.