मध्यप्रदेश विधानसभा में चुनाव कांग्रेस पार्टी के लिए टिकट वितरण एक सिरदर्द बन सकता है. अभी टिकट पर कोई फैसला नहीं लिया गया है उससे पहले ही कांग्रेस पार्टी में चिंता की लकीरे देखने लगी है . खबर है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में राज्य के दो बड़े नेता आपस में ही उलझ गए. बैठक में अपने-अपने उम्मीदवारों को टिकट दिलाने के लिये कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया आपस में उलझ गए. काफी देर तक दोनों के बीच तू-तू मैं मैं होती रही और जब बात नहीं बनी तो दोनों के बीच विवाद सुलझाने के लिए राहुल गाँधी को तीन सदस्यीय समिति बनानी पड़ी. इसमें अहमद पटेल, अशोक गहलोत और वीरप्पा मोइली को शामिल किया गया है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस के बारे में जग जाहिर है कि 15 सालों से शिवराज सिंह चौहान को नहीं हरा पाने की कांग्रेस की सबसे बड़ी वजह पार्टी बड़े नेताओं के बीच के मतभेद हैं. दिग्विजय खेमा, सिंधिया खेमा, कमलनाथ खेमा में सभी अपने अपने नेता को मुख्यमंत्री बनता देखना चाहते है. अगर पार्टी में पड़ी इस दरार को कम नहीं किया गया तो आने वाले चुनाव में जीत हासिल करना कांग्रेस के लिए मुश्किल साबित हो सकता है.
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