एनसीआरबी की रिपोर्ट से एक बार उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लग गए हैं. हत्या के मामलों में यह प्रदेश देश में टॉपर है. यहां हर घंटे सवा 3 मर्डर हुए हैं. जबकि इसी मामले में प्रति घंटे पौने तीन मर्डर के साथ बिहार दूसरे स्थान पर है. अपराध का यह आंकड़ा साल 2022 का है. इन आंकड़ों के मुताबिक साल 2022 में देश भर में हत्या के कुल 28,522 मामले दर्ज किए गए. यदि प्रति घंटे के हिसाब से देखें तो देश में तीन से अधिक हत्या की घटनाएं प्रति घंटे हुईं.
इन आंकड़ों में उत्तर प्रदेश का ग्राफ सबसे ऊपर नजर आ रहा है. एनसीआरबी के मुताबिक साल 2022 में उत्तर प्रदेश में हत्या के 3491 मामले दर्ज किए गए हैं. यह आंकड़ा देश भर में सबसे ज्यादा है. वहीं हत्या की 2,930 वारदातों के साथ बिहार राज्य को दूसरे स्थान पर जगह दिया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाली संस्थान एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में हुए हत्या के मामलों की सबसे बड़ी वजह आपसी विवाद के रूप में सामने आया है.
बता दें कि एनसीआरबी हर साल देश भर में हुए अपराधों का लेखाजोखा पेश करती है. इसमें एनसीआरबी अपराध का आंकड़ा देने के साथ ही भरसक अपराध के कारणों पर भी फोकस करने की कोशिश करती है. इसी क्रम में एनसीआरबी ने बताया है कि साल 2022 में हुई हत्या की घटनाओं के पीछे की सबसे बड़ी वजह आपसी विवाद है. इस विवाद की वजह से देश भर में कुल 9,962 मर्डर हुए हैं. वहीं रंजिश में 3,761 लोगों को जान गंवानी पड़ी है.
तीसरे स्थान पर रहा मध्य प्रदेश
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक हत्या के मामलों में मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर रहा है. यहां साल 2022 में हत्या के कुल 1,978 मामले दर्ज किए गए थे. इसी प्रकार राजस्थान में 1834 मामले दर्ज हुए. इस रिपोर्ट के मुताबिक हत्या के सबसे कम 9 मामले सिक्किम में दर्ज हुए हैं. जबकि नगालैंड में 21, मिजोरम में 31, गोवा में 44 और मणिपुर में 47 मामले दर्ज हुए हैं. इसी प्रकार केंद्रशासित राज्यों में हत्या के सबबसे अधिक 509 मामले में दिल्ली में दर्ज हुए हैं. इसके बाद जम्मू- कश्मीर में 99 और पुडुचेरी में 30 मुकदमे दर्ज किए गए हैं.
इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में लेन देन के विवाद में हत्या के 1,884 वारदात हुए हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में देश के अंदर प्रति लाख जनसंख्या पर हत्या की दर 2.1 रही है. इसी रिपोर्ट में चालान के मामले में लापरवाही पर पुलिस की खिंचाई भी हुई है. इसमें बताया गया है कि महज 81.5 फीसदी मामलों में ही पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की. बाकी मामलों में एफआर लगा दिया.