प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार लगातार वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. वह आज गंगा सप्तमी के शुभ मुहूर्त में वाराणसी में अपना नामांकन दाखिल करेंगे. गंगा सप्तमी का महत्व इस बात से भी बढ़ जाता है क्योंकि कहा जाता है कि आज के दिन ही गंगा शिव की जटाओं में पहुंचीं थीं. इसी दिन राजा बलि के यज्ञ के समय वामन अवतार हुआ था. पीएम मोदी ने काशी और मां गंगा को लेकर अपना रिश्ता भावनात्मक बताया है.
प्रधानमंत्री ने मंगलवार को काशी को लेकर एक वीडियो जारी किया है, जिसमें उन्होंने न सिर्फ अपने रिश्ते की बात कही है बल्कि ये भी बताया है कि पिछले 10 सालों में कैसे भोलेनाथ की नगरी का कायाकल्प हुआ है. पीएम मोदी ने एक्स पर 6 मिनट 25 सेकंड का वीडियो पोस्ट किया है. उन्होंने लिखा, ‘अपनी काशी से मेरा रिश्ता अद्भुत है, अभिन्न है और अप्रतिम है… बस यही कह सकता हूं कि इसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता.’
काशी से कैसा रिश्ता फील करते हैं पीएम मोदी?
पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं जब 2014 में काशी गया तो मेरे मुंह से बस ऐसे ही एक भाव निकल गया था…”न मैं यहां आया हूं, न मुझे किसी ने भेजा है, मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है”, लेकिन आज 10 साल के बाद मैं पूरे भावुकता से कह सकता हूं, आज मुझे लगता है कि मां गंगा ने मुझे गोद लिया है. 10 साल बीत गए, काशी से इतना नाता जुड़ गया कि अब मैं कभी बोलता हूं तो यही कहता हूं कि मेरी काशी. एक मां-बेटे का जैसा रिश्ता फील करता हूं.’ प्रधानमंत्री ये बात कहते हुए भावुक हो गए.
पीएम मोदी ने कहा, ‘लोकतंत्र है, लोगों से आशीर्वाद भी मांगेंगे और वो देंगे भी, लेकिन ये रिश्ता जनप्रतिनिधि वाला नहीं है, ये रिश्ता और ही अनुभूति का है जो मैं फील करता हूं.’ पीएम ने वीडियो के जरिए पिछले 10 सालों में काशी के लिए किए गए विकास कार्यों का भी जिक्र किया है. उन्होंने बताया है कि बनारस के बाजारों में बिजली के तार झूलते थे उन्हें अंडर ग्राउंड कर इस समस्या से निजात दिलाई है. साथ ही साथ सड़कों का चौड़ीकरण किया गया. घाटों का कायाकल्प हुआ है.
काशी में बढ़े 12 गुना पर्यटक
वीडियो में बताया गया है कि पहले काशी विश्वनाथ मंदिर से सीधे गंगा के लिए कोई रास्ता नहीं था, अब श्रद्धालु भोलेनाथ के मंदिर से मां गंगा के चरणों को छू सकते हैं. मंदिर परिसर 3000 वर्ग फीट में हुआ करता था, आज 5 लाख वर्ग फीट का हो गया है. पहले मंदिर में सिर्फ दो-तीन हजार ही श्रद्धालु आ सकते थे, वहां अब 70 हजार श्रद्धालु आ सकते हैं. वहीं, 2017 और 2018 में काशी आने वाले पर्यटकों की संख्या 62 लाख के करीब थी, ये संख्या 2022 और 2023 में बढ़कर सात करोड़ हो गई है, जोकि 12 गुना अधिक है.