बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने हाल ही में कहा कि पति की गर्लफ्रेंड को घरेलू हिंसा कानून के तहत रिश्तेदार नहीं माना जा सकता, जिससे उसे IPC की धारा 498A के तहत आरोप से छूट मिल जाती है. एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर रखने के आरोप में एक महिला की याचिका पर जवाब देते हुए कोर्ट के फैसले ने घरेलू हिंसा से जुड़े कानून के बारे में एक पूरी जानकारी दी और एक मिसाल कायम की.
धारा 498A के अनुसार पति या उसके रिश्तेदारों पर विवाहित महिला के साथ क्रूरता या उत्पीड़न करना अपराध है, जिसके लिए तीन साल तक की कैद और जुर्माना सहित सजा का प्रावधान है. लेकिन अगर याचिकाकर्ता महिला के पति की रिश्तेदार नहीं है, तो ऐसे में धारा 498A लागू नहीं होगी. उसके खिलाफ चार्जशीट सिर्फ इस बुनियाद पर दायर की जाती है क्योंकि आरोप लगाए गए हैं कि शिकायतकर्ता महिला के पति का किसी और महिला के साथ एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर है.
महाराष्ट्र के चंद्रपुर का मामला
दरअसल जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और वृषाली जोशी की बेंच ने इस मामले पर कहा कि यह मामला महाराष्ट्र के चंद्रपुर की निवासी और एक शैक्षणिक संस्थान में कार्यरत महिला से जुड़ा था. उस पर शिकायतकर्ता के पति के साथ एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर रखने का आरोप था. पुलिस ने उसके साथ-साथ उसके पति और उसके परिवार पर भी धारा 498A के तहत आरोप लगाए. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि धारा 498A सिर्फ पति और उसके रिश्तेदारों पर लागू हो सकती है. एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में शामिल किसी तीसरे पक्ष पर नहीं. महिला ने तर्क दिया कि उस पर व्यक्तिगत रंजिश की वजह आरोप लगाया गया था क्योंकि वह शिकायतकर्ता के पति के करीब थी.
भविष्य में काम आएगा
एक्सपर्ट ने कहा कि क्योंकि एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर सेंसिटिव और कॉम्पलेक्स होते हैं, इसलिए हाईकोर्ट के इस फैसला का भविष्य में ऐसे मामलों के निपटारे और निर्णय के तरीके पर काफी असर पड़ने की संभावना है. इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि धारा 498A को घरेलू हिंसा के हर मामले में स्वचालित रूप से लागू नहीं किया जाना चाहिए, यह मानते हुए कि अनुचित व्यवहार का एक भी उदाहरण उत्पीड़न या क्रूरता नहीं माना जाता है.