बहुजन समाज पार्टी अपने सियासी इतिहास में सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. बसपा एक के बाद एक चुनाव हारती जा रही और उसका आधार लगातार कम होता जा रहा है. 2024 के लोकसभा चुनाव में जीरो सीट पर सिमट जाने के बाद से मायावती लगातार बैठकें कर रही हैं. एससी-एसटी आरक्षण में वर्गीकरण के फैसले को लेकर बसपा लंबे अरसे के बाद सड़क उतरी है. इस बीच बसपा अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर मायावती ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 27 अगस्त को बुलाई गई है.
मायावती पिछले 21 साल से बसपा की सर्वेसर्वा बनी हुई हैं. बसपा संस्थापक कांशीराम ने 18 दिसंबर 2003 को अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मायावती को सौंप दी थी. इसके बाद से पार्टी की कमान मायावती ही संभाल रही है और हर पांच साल पर पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में उनके नाम पर मुहर लगती रही हैं. ऐसे में अब देखना है कि 27 अगस्त को होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में बसपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी मायावती को मिलती है या फिर किसी नए चेहरे की ताजपोशी होगी?
27 अगस्त को बसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव
बसपा संविधान के मुताबिक अगस्त महीने में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो जाना है. इसके चलते ही बसपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक 27 अगस्त को बुलाई गई है. लखनऊ में होने वाली राष्ट्रीय और प्रदेश पदाधिकारियों के साथ मंडल प्रभारी और जिला अध्यक्ष भी होंगे शामिल. राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बसपा के अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया होगी, जिसमें संगठन के सदस्य पार्टी के अध्यक्ष के लिए नाम का अनुमोदन करेंगे. बसपा में अभी तक सर्वसम्मति के साथ अध्यक्ष का चुनाव होता रहा है. मायावती से लेकर कांशीराम तक सर्वसम्मति से ही अध्यक्ष चुने जाते रहे हैं और हर पांच साल पर यह प्रक्रिया होती है. ऐसे में इस बार बसपा के अध्यक्ष पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं.
कांशीराम और मायावती ने कब-कब संभाली कमान
बसपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल पांच साल का होता है. कांशीराम ने दलित समुदाय के बीच राजनीतिक चेतना जगाने के लिए साल 1984 में बहुजन समाज पार्टी का गठन किया था. 1984 से 2003 तक लगातार कांशीराम बसपा के अध्यक्ष रहे, उसके बाद उन्होंने बसपा की कमान मायावती के हाथों में कमान सौंप दी. इसके बाद मायावती 2014 में दूसरी बार, 2009 में तीसरी बार पार्टी और 29 अगस्त 2014 में मायावती चौथी बार अध्यक्ष बनी. इसके बाद 28 अगस्त 2019 को सर्वसम्मति से पांचवी बार राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनी गई गई थी. अब बसपा में 27 अगस्त को राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए एक बार फिर से चुनाव है.
मायावती के हाथों में रहेगी बसपा की बागोडोर
बसपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक लखनऊ में 27 अगस्त को बुलाई गई है, जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव होना है. ऐसे में तय माना जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को ही फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जा सकता है. मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को जब अपना सियासी उत्तराधिकारी घोषित किया था, उसके बाद से उनके राजनीति से रिटायर्मेंट की खबरे चलने लगी थी. इन बातों का मायावती ने खंडन करते हुए कहा था कि वह न संयास ले रही है और न ही राजनीति से दूरी बना रही हैं. उन्होंने कहा था कि मेरा पूरा जीवन बीएसपी और सर्वजन के कामों के लिए समर्पित रहेगा.
मायावती के बातों से ही साफ है कि एक बार फिर से वो ही पार्टी की अध्यक्ष सर्वसम्मति से चुना जा सकती है. इस तरह मायावती के हाथों में ही पार्टी की कमान रहेगी. सूत्रों की माने तो 27 अगस्त की बैठक में बसपा के अध्यक्ष का चुनावी प्रक्रिया सिर्फ औपचारिकता है और मायावती के नाम पर मुहर लगनी है. मायावती के रहते हुए किसी दूसरे नेता को पार्टी की कमान नहीं सौंपी जा सकती है. पार्टी के राष्ट्रीय सदस्य मायावती के नाम का अनुमोदन करेंगे और उसके बाद उनके छठी बार अध्यक्ष बनने की घोषणा की जा सकती है. हालांकि, मायावती अगर खुद पार्टी के अध्यक्ष नहीं बनना चाहती हैं, इस सूरत में किसी दूसरे नेता के नाम पर विचार किया जा सकता है. चर्चा यह चल रही कि इस बार बसपा किसी नए चेहरों को कमान दे सकती है. इस लिस्ट में मायावती के भतीजे आकाश आनंद का नाम भी शामिल है, क्योंकि उनके नाम के कयास के पीछे उनके सियासी उत्तराधिकारी बनने की वजह है. आकाश आनंद के करीबी लोगों की मान तो वह खुद भी पार्टी की कमान लेने के लिए अभी तैयार नहीं है. इसीलिए छठी बार मायावती का अध्यक्ष बनना तय है, जिस पर 27 अगस्त को फाइनल मुहर लग जाएगी.
बसपा के आगे का रोडमैप भी होगा तैयार
बसपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के साथ साथ पार्टी अपना राष्ट्रीय एजेंडा भी तय करेगी. बसपा की लगातार सिकुड़ती जमीन से पार्टी के लिए चिंता बढ़ गई है. बसपा इस वक्त पूरे देश में अलग-अलग कार्यक्रम करके लोगों के बीच में अपनी पकड़ बनाने का काम कर रही है. इस बैठक में बसपा राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हुए रणनीति के साथ आगे बढ़ाना है इस पर भी विचार विमर्श करेगी. एससी-एसटी के आरक्षण को लेकर मायावती ने लगातार मोर्चा खोल रखा है. पार्टी के नेता और कार्यकर्ता लंबे अरसे के बाद सड़क पर उतरे हैं. इसके पीछे बसपा से खिसके दलित वोटों को फिर से जोड़ने की मुहिम का हिस्सा माना जा रहा है. हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में बसपा किस्मत आजमा रही है. हरियाणा विधानसभा चुनाव में बसपा ने इनेलो के साथ गठबंधन करके चुनावी मैदान में उतरी है और आकाश आनंद लगातार सक्रिय हैं. जम्मू-कश्मीर में 2014 के चुनाव में कठुआ सीट पर बसपा दूसरे नंबर पर रही थी. ऐसे में जम्मू-कश्मीर को लेकर भी बसपा सक्रिय है. ऐसे में बसपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर भी नई रणनीति तैयार की जा सकती है. माना जा रहा है कि यूपी के जिन सीटों पर उपचुनाव है, उन सीटों के कैंडिडेट के नामों का ऐलान किया जा सकता है.