अरविंद केजरीवाल ने अपना इस्तीफा देते हुए समय से पहले इलेक्शन की मांग कर दिल्ली विधानसभा चुनाव का एजेंडा सेट कर दिया है. कहा जा रहा है कि इस बार 5 मुद्दे के इर्द-गिर्द ही दिल्ली का चुनावी दंगल देखने को मिल सकता है. 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा का चुनाव फरवरी 2025 में प्रस्तावित है. जहां आम आदमी पार्टी का सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी से है. हालांकि, कांग्रेस और बीएसपी जैसे पार्टियां भी चुनावी मैदान में उतरकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश करेगी. दिल्ली में सरकार बनाने के लिए कम से कम 36 विधायकों की जरूरत होती है.
किन 5 मुद्दों पर लड़ा जाएगा दिल्ली का चुनाव?
पहला मुद्दा- केजरीवाल भ्रष्ट है या ईमानदार?
इस मुद्दे का नैरेटिव खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सेट किया है. रविवार (15 सितंबर) को आप मुख्यालय में कार्यकर्ताओं से बात करते हुए केजरीवाल ने कहा कि अगर मैं ईमानदार हूं तो मुझे वोट देना, नहीं तो मत देना.
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने आगे कहा- 2020 में दिल्ली की जनता से कहा था कि अगर मैंने काम नहीं किया है तो वोट मत देना. इसी तरह मैं अब कह रहा हूं कि अगर आपको लगता है कि केजरीवाल ईमानदार नहीं है तो वोट मत देना. आम आदमी पार्टी इस सवाल को लेकर दिल्ली में घर-घर जाएगी. आप ने सोशल मीडिया पर ‘केजरीवाल ईमानदार है’ का हैशटैग भी शुरू किया है. मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी भी केजरीवाल की ईमानदारी पर ही हमलावर है. बीजेपी का कहना है कि केजरीवालको कोर्ट ने क्लीन चिट नहीं दिया है. उन्हें संविधान के अधिकार के तहत जमानत मिली है.
दूसरा मुद्दा- फ्री शिक्षा का होगा, सिसोदिया चेहरा
अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ चुनाव होने तक मनीष सिसोदिया ने भी पद नहीं लेने की बात कही है. सिसोदिया ने कहा है कि वे भी जनता की अदालत में जाएंगे और लोगों से पूछेंगे कि अच्छी शिक्षा व्यवस्था देना क्या गुनाह है? अगर नहीं तो फिर मुझे 17 महीने जेल में क्यों रखा गया?
आप शिक्षा व्यवस्था को मुद्दा बनाकर फिर से चुनाव को 2020 के ट्रैक पर ले जाना चाहती है. आप के दावे के मुताबिक सिसोदिया के नेतृत्व में दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में कई अमूल-चूक बदलाव हुए हैं. सिसोदिया के शिक्षा मंत्री रहते उच्च कैटेगरी के स्कूल और यूनिवर्सिटी बनाए गए हैं, जहां गरीबों के बच्चे आसानी से पढ़ सकेंगे. सर्वे एजेंसी सीएसडीएस के मुताबिक 2020 के चुनाव में दिल्ली में 6 प्रतिशत लोगों ने शिक्षा को बड़ा मुद्दा बताया था.
तीसरा मुद्दा- दिल्ली में पानी और फ्री बिजली का
आप मुख्यालय में रविवार को अपने भाषण के दौरान अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे का कई बार जिक्र किया. उन्होंने कहा कि केजरीवाल पर कंडिशन लगाने में न तो एलजी और न ही केंद्र ने कोई कमी की, लेकिन मैंने आपके काम नहीं रुकने दिए. केजरीवाल रहे या न रहे, आप की सरकार में दिल्ली की जनता को फ्री पानी और फ्री बिजली मिलता ही रहेगा. 2014 के बाद से ही इन दो मुद्दों के सहारे आम आदमी पार्टी दिल्ली की राजनीति में मजबूत पकड़ बनाकर रखी है. सीएसडीएस के मुताबिक 2020 के चुनाव में 66 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि उनके बिजली बिल में या तो कमी आई है या जीरो आया है. इसी तरह 71 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि दिल्ली में अब पानी की सप्लाई पहले से बेहतर हुई है.
चौथा मुद्दा- नेताओं पर एजेंसी की कार्रवाई का
दिल्ली की चुनाव में केंद्रीय एजेंसी की कार्रवाई का भी मुद्दा बनेगा. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को जमानत देते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी के लिए ‘पिंजरे में बद तोता’ शब्द का प्रयोग किया था. आप इसे लगातार मुद्दा बनाने में जुटी है. हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा था कि नेताओं पर ऐसे-ऐसे मुकदमे लगाए जा रहे हैं, जो आतंकियों पर लगाए जाते हैं. आप ने हालिया लोकसभा चुनाव में भी सेंट्रल एजेंसी की कार्रवाई को बड़ा मुद्दा बनाया था.
पांचवां और सबसे बड़ा मुद्दा- सिंपैथी का
किसी भी चुनाव में सिंपैथी सबसे बड़ा मुद्दा माना जाता है. आम आदमी पार्टी की कोशिश केजरीवाल, सिसोदिया और संजय सिंह को जेल में डालने के मुद्दे को सिंपैथी में बदलने की है. वरिष्ठ पत्रकार आर राजगोपालन के मुताबिक सिंपैथी के जरिए अरविंद केजरीवाल अपने खिलाफ उत्पन्न एंटी इनकंबैंसी को खत्म करना चाहते हैं. राजगोपालन आगे कहते हैं- यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल ने समय से पहले चुनाव कराने की मांग है. दिल्ली में फरवरी 2025 में विधानसभा के चुनाव होने हैं. हालांकि, केजरीवाल की पार्टी का कहना है कि चुनाव में महाराष्ट्र के साथ नवंबर में ही कराए जाएं