दिल्ली: लोकसभा चुनावों का बिगुल बज़ चुका है और सभी पार्टियां अपनी चाल और बिसात बिछाने में लगी है. लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की काफी अहम् भूमिका मानी जाती है. कहा भी जाता है जिसके पास उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीट है वही केंद्र में सरकार बनता है. इसी के चलते पिछले चुनावों में सूपड़ा साफ करने वाली भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए राज्य की दो प्रमुख पार्टियों ने हाथ मिला लिया है. सूत्रों के मुताबिक यूपी में लोकसभा चुनावों के लिए सपा और बसपा के बीच सीटों पर सहमति बन गई है. शुक्रवार को बीएसपी सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच हुई बैठक के बाद सीटों के फॉर्मूले पर मुहर लगी. लेकिन खास बात यह है कि इस गठबंधन में कांग्रेस को जगह नहीं दी गई.
लोकसभा चुनावों का बिगुल बज़ चुका है और सभी पार्टियां अपनी चाल और बिसात बिछाने में लगी है. लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की काफी अहम् भूमिका माने जाती है. कहा भी जाता है जिसके पास उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीट है वही केंद्र में सरकार बनता है. इसी के चलते पिछले चुनावों में सूपड़ा साफ करने वाली भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए राज्य की दो प्रमुख पार्टियों ने हाथ मिला लिया है. सूत्रों के मुताबिक यूपी में लोकसभा चुनावों के लिए सपा और बसपा के बीच सीटों पर सहमति बन गई है. शुक्रवार को बीएसपी सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच हुई बैठक के बाद सीटों के फॉर्मूले पर मुहर लगी. लेकिन खास बात यह है कि इस गठबंधन में कांग्रेस को जगह नहीं दी गई.
यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं. पिछले लोकसभा चुनावों में यूपी से बीजेपी को 71 सीटें मिली थीं. इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और अखिलेश यादव के बीच घंटों तक चली बैठक के बाद सीटों का फॉर्मूला तय हुआ. मायावती के दिल्ली आवास त्याग राज मार्ग पर हुई बैठक में तय हुआ है कि सपा और बसपा 37-37 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. वही इस गठबंधन में कांग्रेस के लिए कोई स्थान नहीं रखा गया है. कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें दी गई हैं, 2 सीटें अमेठी और रायबरेली राहुल और सोनिया गांधी के लिए छोड़ी जा सकती हैं. 2 सीटें महागठबंधन के अन्य साथियों (संभावित रूप से ओमप्रकाश राजभर की पार्टी) के लिए छोड़ी जा सकती हैं. महागठबंधन के लिए अन्य साथियों के नहीं साथ आने की स्थिति में 1-1 सीटें सपा और बसपा आपस में बांट लेंगी.