सर्वणों को आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण देने वाला बिल लोकसभा में पेश कर दिया गया है. केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री थावरचंद्र गहलोत ने लोकसभा में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया. सांसदों को तीन पेज का बिल पढ़ने के लिए दिया गया. जानकारी के मुताबिक शाम पांच बजे बिल पर चर्चा होगी. राजनीतिक पार्टियों से चर्चा में हिस्सा लेने वाले सांसदों के नाम भी ले लिए गए हैं. बता दें कि ये संविधान का 124वां संशोधन है. बिल पास करवाने के लिए सरकार ने पूरी तैयारी कर रखी है, लोकसभा में बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को मौजूद रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया. इसके साथ ही राज्यसभा का कार्यकाल भी एक दिन के लिए बढ़ाया गया है. संविधान संशोधन बिल पास करवाने के लिए दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है. नंबर गेम के हिसाब से लोकसभा में तो सरकार नंबर ना होने बावजूद बिल पास करवा लेगी.
वहीं, राज्यसभा का सत्र भी एक दिन यानी 9 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया गया है. कहा जा रहा है कि लोकसभा से बिल को मंजूरी मिलने के बाद इसे बुधवार को इसे राज्य सभा में भी पेश किया जा सकता है. खास बात यह है कि केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव को कई विपक्षी पार्टियां भले ही चुनावी स्टंट करार दे रही हैं, लेकिन किसी ने भी इसका खुलकर विरोध नहीं किया है. वहीं, कांग्रेस ने भी लोकसभा में इस बिल का समर्थन करने का फैसला किया है. इससे पहले बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी बिल को समर्थन देने की बात कही थी.
क्या कहता है लोकसभा का गणित?
लोकसभा में दो तिहाई बहुमत ना होने बाद भी सरकार की राह आसान है, क्योंकि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने बिल को समर्थन देने की बात कही है. लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं, बिल. पास करवाने के लिए 349 वोटों की जरूरत है. एनडीए के पास लोकसभा में 303 सांसद हैं, इसमें कांग्रेस के 45 और आम आदमी पार्टी के 4 सांसदों को जोड़ दें तो ये आंकड़ा 352 पर पहुंच जाता है.
राज्यसभा में अटक सकता है संशोधन बिल
राज्यसभा में सरकार के बाद जरूरत दो तिहाई बहुमत पास करवाना थोड़ा मुश्किल है. राज्यसभा में कुल सीटें 244 हैं, बिल पास करवाने के लिए जरूरी नंबर 163 है. राज्यसभा में एनडीए के पास 92 सीटें हैं, कांग्रेस की 50 और आप की 3 सीटें जोड़ लें तो यह नंबर सिर्फ 145 तक ही पहुंचता है. राज्यसभा में 18 सीटें कम पड़ रही हैं. .