दिल्ली: नमो ऐप पर चल रहे एक सर्वे ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसदों की घबराहट को बढ़ा दिया है. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नमो ऐप पर लोगों से उनके संसदीय क्षेत्र के तीन सबसे प्रमुख नेताओं की जानकारी मांगी है. ‘पीपल्स पल्स’ नाम के सर्वे के जरिए बीजेपी लोकसभा चुनाव 2019 के लिए उम्मीदवारों के नाम शॉर्टलिस्ट कर रही है. पीएम मोदी कई बार सांसदों से सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों को जनता के बीच पहुंचाने के बारे में कह चुके हैं. इसके अलावा वह सांसदों से सरकारी डेटा को लेकर नमो ऐप पर ऐक्टिविटी बढ़ाने के लिए भी कह चुके हैं. #Narendra Modi
कई सवालों में एक सवाल है कि ‘आपके निर्वाचन क्षेत्र में तीन सबसे लोकप्रिय भाजपा नेता कौन हैं?’ पीएम मोदी ने सोमवार को ट्विटर पर एक संक्षिप्त वीडियो पोस्ट कर लोगों से सर्वेक्षण में हिस्सा लेने की अपील की. सर्वेक्षण में लोगों से उनके राज्य, संसदीय क्षेत्र, सस्ती स्वास्थ्य सुविधाएं, किसानों की समृद्धि, भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन, स्वच्छ भारत, राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, ढांचागत सुविधाएं, रोजगार और ग्रामीण विद्युतीकरण जैसे क्षेत्रों में केंद्र सरकार की उपलब्धियों के बारे में पूछा जा रहा है. #BJP
I want your direct feedback on various issues…take part in the survey on the ‘Narendra Modi Mobile App.' pic.twitter.com/hdshOPnOEY
— Narendra Modi (@narendramodi) January 14, 2019
वीडियो संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘नमो एप्प पर सर्वेक्षण शुरू किया गया है. सर्वेक्षण के माध्यम से मैं सीधे आपका फीडबैक चाहता हूं. आपका फीडबैक मायने रखता है. विभिन्न मुद्दों पर आपके फीडबैक से हमें महत्वपूर्ण निर्णय करने में मदद मिलेगी. क्या आप सभी उस महत्वपूर्ण सर्वेक्षण में हिस्सा लेंगे.’’ सवालों में महागठबंधन के बारे में एक प्रश्न भी शामिल है. इसमें लोगों से पूछा गया है कि क्या ‘महागठबंधन’ का उनके संसदीय क्षेत्र में असर पड़ेगा. आम चुनावों से पहले भाजपा के खिलाफ गठबंधन बनाने के प्रयासों के बीच यह सर्वेक्षण किया जा रहा है.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी लोगों से इस सर्वे में भाग लेने की अपील की है. बीजेपी के ज्यादातर सांसद हिंदी पट्टी के राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से आते हैं जहां 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी अपना विजयी अभियान जारी रखने में नाकाम रही है. इसमें हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों की हार और यूपी में गोरखपुर, फूलपुर और कैराना में हुए लोकसभा के उपचुनावों की हार भी शामिल है.