फरीदाबाद: शनिवार को फरीदाबाद के 33वे अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प सूरजकुंड मेले में भारी भीड़ उमड़ी. मेले को देखने के लिए दिल्ली एनसीआर समेत दूर दराज़ से लोगो का आना जारी रहा. आपको बता दे कि देश विदेश के 1600 शिल्पकारों के स्टॉल लगाएं गए हैं. सभी स्टाल अपने क्षेत्र की परम्परा के साथ एक कहानी बया रहे है. शनिवार को मेले के कुछ आक्रषण के केंद्र बने. आइये एक नज़र उन पर भी डाल लेते है.
जिम्बावे का लोक डांस:
मेले में जिम्बावे से आये लोक कलाकारों ने अपने लोक नृत्य के माध्यम से समां बांधे रखा. कलाकारों के मुताबिक यह नृत्य ज़िम्बावे की आज़ादी से जुड़ा हुआ है. 18 अप्रैल 1980 में ब्रिटिश शासन से आज़ाद होने के बाद ज़िम्बावे के लोग ख़ुशी से झूम उठे और पूरा देश एक साथ मिलकर एक लोक गीत पर नृत्य करता नज़र आया. जिसे आज जिम्बाबे के इन्ही कलाकारों ने सूरजकुंड की धरती पर पेश किया.
महाराष्ट्र की कोल्हापुरी 4.5 फ़ीट लम्बी चप्पल:
महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में तैयार की गयी 4.5 फ़ीट के चमड़े की कोल्हापुरी चप्पल को देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो रही थी. कारीगर द्वारा डेढ़ महीने में तैयार की गयी कोल्हापुरी चप्पल सूरजकुंड में आकर्षण का केंद्र भी थी. इसके साथ साथ इस स्टाल पर कई किस्म की कोल्हापुरी चप्पलें भी मौजूद थी.
हैदराबाद का चार मीनार
सूरजकुंड मेले के गेट नंबर चार के पास हैदराबाद के चार मीनार की एक प्रतिमा बनाई गयी है. जिसे देखकर एक बार आप भी चकमा खा जायेंगे. मेले को चार चाँद लगाने में इस प्रतिमा का अपना एक ख़ास अंदाज़ देखने को मिल रहा है. दिन में यह प्रतिमा सफ़ेद रंग से सराबोर दिखती है वही शाम होते ही इस प्रतिमा का बदलता रंग-रूप आपको अपनी और आकर्षित करता है.