दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जिस डील को मोदी सरकार का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार बता रहे हैं, उसी डील पर राज्यसभा में राफेल पर सीएजी की रिपोर्ट पेश कर दी गई है. सीएजी की रिपोर्ट से मोदी सरकार को बड़ी राहत मिली है. सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार की राफेल डील यूपीए से सस्ती है. ये डील यूपीए के मुकाबले 2.86 फीसदी सस्ती है जबकि राफेल का फ्लाईअवे प्राइस 2015 में UPA के 2007 के बराबर बताया गया है. हालांकि रिपोर्ट में विमान की कीमत का जिक्र नहीं किया गया है. साथ ही राफेल में लगे हथियारों के बारे में भी नहीं बताया गया है. सीएजी ने मोदी सरकार की डील को सही बताया है.
रिपोर्ट में 2007 और 2015 की मूल्य बोलियों का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है. इसमें लिखा है, ‘आईएनटी द्वारा गणना किए गए संरेखित मूल्य ‘यू 1’ मिलियन यूरो था जबकि लेखापरीक्षा द्वारा आंकलित की गई संरेखित कीमत ‘सीवी’ मिलियन यूरो थी जो आईएनटी संरेखित लागत से लगभग 1.23 प्रतिशत कम थी. यह वह मूल्य था जिस पर 2015 में अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जाने चाहिए थे यदि 2007 और 2015 की कीमतों को बराबर माना जाता. लेकिन इसके जगह 2016 में ‘यू’ मिलियन यूरो के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे जो लेखापरीक्षा के संरेखित कीमत से 2.86 प्रतिशत कम थी’
सोमवार को सीएजी ने रिपोर्ट राष्ट्रपति और वित्त मंत्रालय को भेजी थी. साथ ही रिपोर्ट लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के चेयरमैन को भी भेजी गई. आज वित्त राज्यमंत्री पी राधाकृष्णन ने रिपोर्ट को राज्यसभा में रखा. इस बीच संसद में सीएजी की रिपोर्ट आने से पहले ही कांग्रेस ने उस पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिये थे. राफेल डील को लोकसभा चुनाव का मुद्दा बनाने की ठान चुके राहुल गांधी ने इस रिपोर्ट के जारी होने से पहले ही सीएजी राजीव महर्षि पर सवाल खड़े कर दिए. हितों के टकराव का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने सीएजी राजीव महर्षि से अनुरोध किया था कि वह 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के करार की ऑडिट प्रक्रिया से खुद को अलग कर लें, क्योंकि तत्कालीन वित्त सचिव के तौर पर वह इस वार्ता का हिस्सा थे.