महाराष्ट्र के किसान एक बार फिर आंदोलन की राह पर हैं. अपनी मांगों को लेकर सरकार से बातचीत फेल होने के बाद हज़ारों किसान नासिक से लेकर मुंबई तक के लिए 180 किलोमीटर की दूरी तक मार्च के लिए दोबारा निकल पड़े हैं. किसानों का आरोप है कि सरकार ने राज्य व केंद्र स्तर पर उनके साथ धोखा किया है. किसान नेताओं ने गुरुवार को बताया कि महाराष्ट्र सरकार से बातचीत का कोई हल न निकलने पर देर रात इसका फैसला किया गया.
इस मार्च में किसान 2018 तक की संपूर्ण कर्ज माफी, वन अधिकार कानून को लागू करना साथ ही महाराष्ट्र से गुजरात को दिए जाने वाले पानी पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं. मार्च के दौरान उन्हें रोकने की कोशिश भी की गई. हालांकि, किसान आगे बढ़ गए. बताया जा रहा है कि किसानों के लंबे मार्च को लेकर महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री गिरीश महाजन के साथ बैठक हुई. जिसमें उन्होंने सरकार से लिखित में आश्वासन मांगा.
हालांकि, मंत्री गिरीश महाजन की ओर से कहा गया कि किसानों के साथ सकारात्मक चर्चा हुई है. उन्होंने कहा, ‘किसानों से चर्चा कर उनके मुद्दे सुने हैं. सरकार जल्द से जल्द इनकी मांगों को पूरा करने के लिए उचित कदम उठाएगी. कहा जा रहा है कि आज फिर सरकार के मंत्री किसान नेताओं के साथ बातचीत करेंगे.’
बता दें कि यह लंबा मार्च नासिक से शुरू होकर 27 फरवरी तक मुंबई पहुंचेगा. लगभग 50 हजार से ज्यादा किसान इस लॉन्ग मार्च में शामिल हो रहे हैं. किसानों का आरोप है कि पिछले साल किए गए लंबे मार्च के बाद सरकर ने महज आश्वाशन दिया, लेकिन उस पर अमल नहीं किया.
आपको बता दे कि मार्च 2018 में किसानों ने इसी प्रकार का एक मार्च मुंबई की ओर शुरू किया था. किसानों ने इस दौरान अपनी उपज का सही मूल्य प्रदान मिलने, कर्ज माफी, सूखा प्रभावित किसानों को राहत और वन विभाग की जमीन को एसटी वर्ग को आवंटित करने की मांग को लेकर सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी.