दिल्ली: राजधानी दिल्ली में करीब 23 हज़ार अतिथि शिक्षक बेरोज़गार हो गए है. जानकारी के मुताबिक 28 फरवरी को दिल्ली के सभी अतिथि शिक्षकों का अनुबंद समाप्त हो गया है. सभी अतिथि शिक्षक के घर अब चूल्हा नहीं जलेगा. गौरतलब है कि दिल्ली में इन दिनों सभी कक्षाओ की परीक्षा चल रही है और ऐसे में अतिथि शिक्षकों का अनुबंद समाप्त होना सभी विद्यार्थियों के भविष्य को अधर में अटका सकता है. राजधानी के सभी स्कूल इस समय शिक्षकों के बिना ही चलेंगे. विद्यार्थी बिना शिक्षक के परीक्षा देने आएंगे तो इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि शिक्षा का स्तर कहाँ पहुँचेगा.
आपको बता दे कि आम आदमी पार्टी सत्ता में आने से पहले राजधानी के सभी सरकारी स्कूल के अतिथि शिक्षकों को नियमित करने का वादा किया था. जिसके तहत पार्टी भारी बहुमत के साथ दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ हुई. लेकिन लगता है सत्ता आते ही न तो आम आदमी पार्टी को अपने वादे का ध्यान है, ना ही इसके तहत आम आदमी पार्टी की सरकार गंभीर नज़र आ रही है. विधानसभा में शिक्षा के स्तर को सुधारने की लिए भारी भरकम बज़ट लाया जाता है. लेकिन जब दिल्ली में पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं रहेंगे तो शिक्षा का स्तर कैसे सुधरेगा. स्कूल की इमारतें बना देने से शिक्षा का स्तर नहीं बदला जा सकता उसके लिए स्कूल में शिक्षकों का रहना जरूरी है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उनकी पार्टी पूरे देशभर में “स्कूल-अस्पताल रैली” का प्रदर्शन कर रही है. लेकिन सच्चाई इससे कोसो दूर नज़र आ रही है. दिल्ली के अतिथि शिक्षक की नौकरी राम भरोसे चल रही है. शिक्षक आज भी सरकार को उसके वादे याद दिलाने की लिए आये दिन धरना प्रदर्शन करते है. मगर सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगती. हर बार अध्यापको को एक बहकावे का झुंझूना थमा दिया जाता है.
याद दिलाते चले कि बीते बुधवार को, हरियाणा सरकार ने “हरियाणा अतिथि शिक्षक सेवा विधेयक 2019” पारित किया है. विधेयक के अनुसार, विभिन्न सरकारी स्कूलों में नियुक्त अतिथि शिक्षकों को स्थायी शिक्षक के समान दर्जा मिलेगा. बहुप्रतीक्षित बिल पास होने के बाद, लगभग 14,000 शिक्षकों को उनकी सेवाओं में नियमन मिला है. विधेयक के अनुसार, अतिथि शिक्षक अब नियमित शिक्षकों की तरह 58 साल तक काम करेंगे.