दिल्ली: भारत को अपना पहला लोकपाल मिल गया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष को देश का पहला लोकपाल नियुक्त किया है. मई 2017 में उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति घोष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्य हैं. शुक्रवार को पीएम की अध्यक्षता में हुई चयन समिति की बैठक में लोकपाल और उनकी समिति के 8 सदस्यों का चयन किया गया था. इस समिति के चार न्यायिक और चार गैर न्यायिक सदस्य हैं
लोकपाल समिति में जस्टिस दिलीप भोसले, जस्टिस पीके मोहंती, जस्टिस अभिलाषा कुमारी और जस्टिस ए के त्रिपाठी न्यायिक सदस्य हैं. वहीं दिनेश कुमार, अर्चना रामासुंदरम, महेंद्र सिंह और डॉ. आईपी गौतम इसके गैर न्यायिक सदस्य हैं.
बता दें कि भ्रष्टाचार के मामलों पर एक स्वतंत्र और मजबूत संस्था स्थापित करने के लिए साल 2013 में लोकपाल व लोकायुक्त विधेयक पास किया गया था. 16 जनवरी 2014 को ये विधेयक लागू हुआ था. हालांकि, केंद्र की मोदी सरकार पांच साल के कार्यकाल में लोकपाल की नियुक्ति नहीं कर पाई. लोकपाल की नियुक्ति में हो रही देरी को लेकर ‘कॉमन कॉज’ नाम की एक गैर-सरकारी संस्था (NGO) ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दायर की थी. याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कोर्ट में अपील की थी कि सरकार को जल्द से जल्द लोकपाल की नियुक्ति का आदेश देना चाहिए.
7 मार्च को पीआईएल पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) रंजन गोगोई की अगुवाई में बेंच ने मोदी सरकार से लोकपाल कि नियुक्ति को लेकर हो रही देरी का कारण पूछा था. बेंच ने 15 दिन के अंदर सरकार को जवाब देने को कहा था. इससे पहले 17 जनवरी को हुई सुनवाई में कोर्ट ने लोकपाल की नियुक्ति में देरी को लेकर केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई थी.