आज सबकी निगाहें बिहार पर रहने वाली हैं क्योंकि आज एनडीए के उम्मीदवारों कि लिस्ट जारी हो रही है. शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट कटना तो लगभग पक्का है लेकिन गिरिराज सिंह की नाराज़गी को बीजेपी दूर कर पाई है या नहीं ये भी आज पता लग जाएगा. 2014 में मोदी लहर में बीजेपी ने बिहार की चालीस सीटों में से 22 सीटें जीती थीं. रामबिलास पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी को मिलाकर एनडीए ने 31 सीटों पर कब्ज़ा किया था लेकिन इस समीकरण बदल गया है.
आज सबकी निगाहें बिहार पर रहने वाली हैं क्योंकि आज एनडीए के उम्मीदवारों कि लिस्ट जारी हो रही है। शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट कटना तो लगभग पक्का है लेकिन गिरिराज सिंह की नाराज़गी को बीजेपी दूर कर पाई है या नहीं ये भी आज पता लग जाएगा. 2014 में मोदी लहर में बीजेपी ने बिहार की चालीस सीटों में से 22 सीटें जीती थीं. रामबिलास पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी को मिलाकर एनडीए ने 31 सीटों पर कब्ज़ा किया था लेकिन इस समीकरण बदल गया है.
इनके अलावा आरा से आर के सिंह, बक्सर से अश्विनी चौबे, मुजफ्फरपुर से अजय निषाद, पश्चिमी चंपारण से संजय जायसवाल, पाटलिपुत्र से रामकृपाल यादव, पूर्वी चंपारण से राधामोहन सिंह, सारण से राजीव प्रताप रूड़ी, शिवहर से रमा देवी, सासाराम से छेदी पासवान, उजियारपुर से नित्यानंद राय, महाराजगंज से जनार्दन सीग्रीवाल, अररिया से प्रदीप सिंह, दरभंगा से गोपाल जी ठाकुर और औरंगाबाद से सुशील सिंह को टिकट मिलना लगभग तय माना जा रहा है.
मामला केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पर अटक गया है. सूत्रों के मुताबिक गिरिराज सिंह ने बिहार बीजेपी के नेताओं को बता दिया है कि वो नवादा के अलावा किसी और सीट से नहीं लड़ेंगे. इस बीच एलजेपी भी कह चुकी है कि अब बहुत देर हो चुकी है, बदलाव मुश्किल है. अगर गिरिराज अपनी सीट को लेकर अड़े हुए हैं तो बिहार में बीजेपी उम्मीदवारों की इस संभावित लिस्ट में एक बड़ा नाम भी गायब है. वो नाम बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन का है.
शाहनवाज हुसैन 2014 में भागलपुर से चुनाव लड़े थे. हालांकि वो मोदी लहर में भी हार गए थे और इस बार ये सीट जेडीयू के पास चली गई है. बीजेपी और उसके सहयोगियों के लिए चुनौती बड़ी है क्योंकि उन्हे 2014 का इतिहास दोहराना है. इस बार सहयोगी बदल गये हैं, बीजेपी की अपनी सीटें भी कम हुई हैं इसलिये सबकी नज़रे आज की लिस्ट पर लगी हुई है.