दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज सुबह 9 बजकर 27 मिनट पर पीएसएलवी सी45 को लांच कर दिया. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से स्वदेशी सर्विलांस सैटेलाइट एमसैट के साथ 28 विदेशी नैनो सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजा गया. पीएसएलवी-सी45 ने एमिसैट को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया है. 28 विदेशी उपग्रहों को भी उनकी कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित किया जा चुका है.
सैटेलाइट के सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित होने के बाद इसरो अध्यक्ष के सिवान ने कहा, ‘पीएसएलवी-सी45 अब ऑर्बिटल प्लेटफॉर्म में अपना काम शुरू करने के लिए 485 किलोमीटर की तरफ बढ़ रही है. इस मिशन को सफल बनाने के लिए मैं अपनी टीम के सदस्यों का धन्यवाद करता हूं’ नासा की तरह आम आदमी को रॉकेट लांचिंग दिखाने के लिए करीब 5 हजार दर्शक क्षमता वाली स्टेडियम जैसी गैलरी सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में तैयार कराई गई थी.
पहली बार इसरो ने एक साथ तीन अलग-अलग कक्षाओं में सैटेलाइट को स्थापित करने का इतिहास रचा है. इस पूरे अभियान को 180 मिनट में पूरा किया गया. एमसैट सैटेलाइट कई मायनों में भारत के लिए महत्वपूर्ण है. यह दुश्मन देश जैसे कि पाकिस्तान पर बाज की नजर बनाकर रखेगा. आज हम आपको इसकी खासियतों के बारे में बताते हैं.
1. एमसैट पाकिस्तान की सीमा पर इलेक्ट्रॉनिक या किसी तरह की मानवीय गतिविधि पर नजर रखेगा. यानी बॉर्डर पर यह सैटेलाइट रडार और सेंसर पर पैनी नजर बनाए रखेगा.
2. कम्युनिकेशन इंटेलिजेंस के जरिए यह पता लगाएगा कि उस क्षेत्र में कितने कम्युनिकेशन डिवाइस सक्रिय हैं.
3. सीमा पर तैनात सेंसर के जरिए दुश्मन के क्षेत्र की सटीक स्थलाकृति का पता लगाने में मदद करेगा.
4. रात के अंधेरे मे भी तस्वीरें खींचने में सक्षम है.
5. इसके जरिए दुश्मन के हथियारों और सैन्य पूंजी के बारे में पता लगाने में मदद मिलेगी.
6. एमसैट समुद्री उपग्रह प्रयोगों के लिए इसरो की स्वचालित पहचान प्रणाली है जो जहाजों से प्रेषित संदेशों को कैप्चर करते हैं.
7. एमसैट (रेडियो एमेच्योर सैटेलाइट कॉर्पोरेशन), भारत से ऑटोमैटिक पैकेट रिपीटिंग सिस्टम, पोजीशन डाटा की निगरानी और शौकिया रेडियो ऑपरेटरों की सहायता करेगा.
8. यह सैटेलाइट अंतरिक्ष में विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम की जांच करेगा.
9. डीआरडीओ के वैज्ञानिकों द्वारा स्वदेश में निर्मित 436 किलोग्राम वजन वाली इस सैटेलाइट से भारतीय सर्विलांस मजबूत बनेगा.
10. पृथ्वी की 749 किलोमीटर ऊंची कक्षा में स्थापित होने के कारण यह रडार नेटवर्क की निगरानी करेगा.