कांग्रेस मोदी-शाह के खिलाफ पहुँची सुप्रीम कोर्ट, आरोप दोनों के लिए चुनाव आयोग का रवैया नर्म, कोर्ट याचिका पर सुनवाई को तैयार..

दिल्लीः कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर नर्म रवैया अपनाने का आरोप लगाया है. पार्टी की सांसद सुष्मिता देव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि मोदी और शाह लगातार चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं. लेकिन चुनाव आयोग ने इस पर आंखें बंद कर रखी हैं. आयोग को कई बार लिखित शिकायत दी गई. पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. कोर्ट इस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के लिए तैयार हो गया है.

सुष्मिता की याचिका में कहा गया है कि मोदी और शाह अपने चुनावी भाषणों में नफरत फैलाने वाली बातें कर रहे हैं, सेना के नाम पर वोट मांग रहे हैं. इतना ही नहीं मोदी ने गुजरात में मतदान के दिन रैली की. ये सब आचार संहिता का उल्लंघन है. लेकिन चुनाव आयोग निष्क्रिय बना बैठा है. एक तरह से इन हरकतों को “मौन समर्थन” दे रहा है. याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की. इसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. लगभग डेढ़ सौ पन्नों की याचिका में आरोप लगाया गया है कि चुनाव आयोग के पास नियमों के 2 सेट हैं.

मोदी-शाह के लिए अलग, बाकी नेताओं के लिए अलग. इसलिए, बीएसपी अध्यक्ष मायावती को धार्मिक आधार पर वोट की अपील करने के लिए प्रचार से 48 घंटे के लिए रोक दिया गया. जबकि, मोदी खुलेआम हिंदुओं का अपमान होने का दावा कर रहे हैं. कह रहे हैं कि ये माफी लायक नहीं है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर ताना कस रहे हैं कि वो डर कर अल्पसंख्यक बहुल सीट से लड़ रहे हैं. चुनाव आयोग इन बातों की जानकारी होने के बावजूद चुप है.

इसी तरह पीएम और शाह बार-बार अपने भाषणों में सेना का हवाला दे रहे हैं. कभी पुलवामा में शहीद जवानों के नाम पर वोट मांगते हैं, कभी बालाकोट में एयर स्ट्राइक करने वाले वायुसैनिकों के नाम पर. चुनाव आयोग ने सेना के नाम पर प्रचार की मनाही कर रखी है. लेकिन जब इसका पालन नहीं होता, तो कोई कार्रवाई नहीं करती. याचिका में चुनाव आयोग के रवैये को पक्षपात भरा बताया गया है. कहा गया है कि ये समानता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है. इससे चुनाव में सभी पार्टियों और उम्मीदवारों के एक बराबर अवसर मिलने के सिद्धांत का भी हनन हो रहा है. इसलिए, कोर्ट आयोग को मोदी-शाह के खिलाफ दी गई शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई का आदेश दे.

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