मतदान के दौरान लगाई जाने वाली स्याही का इतिहास, कहाँ से आई स्याही, कौन सी कम्पनी बनती है, कब हुआ उपयोग, जाने पूरी जानकारी…

दिल्ली: जब आप मतदान करने जाते हैं तो आपके बाएं हाथ की तर्जनी उंगली पर एक स्याही लगाई जाती है. यह स्याही इस बात की पहचान होती है कि आपने वोट कर दिया है. इस स्याही का प्रयोग फर्जी मतदान को रोकने के लिए किया जाता है. यह निशान करीब महीना भर आपकी उंगली पर रहता है. लेकिन क्या आपको पता है कि इस स्याही को बनाती कौन सी कंपनी हैं. अगर नहीं तो हम आपको बता दें इसे मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड कंपनी बनाती है.

क्या है इतिहास

आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि इस स्याही का इतिहास भारत के एक बड़े राजवंश से जुड़ा है. दरअसल कर्नाटक में मैसूर नाम की एक जगह है, जहां पहले वाडियार राजवंश का राज चलता था. आजादी से पहले यहां के शासक महाराजा कृष्णराज वाडियार थे. यह राजवंश विश्व के सबसे अमीर राजघरानों में से एक माना जाता था. कृष्णराज वाडियार ने 1937 में मैसूर लैक एंड पेंट्स नाम की एक फैक्ट्री लगाई. इस फैक्ट्री में पेंट और वार्निश बनाने का काम होता था.

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भारत के आजाद होने के बाद इस फैक्ट्री पर कर्नाटक सरकार का अधिकार हो गया. अभी इस फैक्ट्री में 91 प्रतिशत हिस्सेदारी कर्नाटक सरकार की है. 1989 में इस फैक्ट्री का नाम बदलकर मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड कर दिया गया.

कब हुआ पहली बार चुनाव में इस्तेमाल

मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड ने पहली बार तीसरे आम चुनाव यानि 1962 में चुनाव के लिए स्याही निर्माण का काम शुरू किया.

 

कैसे तैयार होती है यह स्याही

इस स्याही को बनाने की निर्माण प्रक्रिया गोपनीय रखी जाती है और इसे नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी आफ इंडिया के रासायनिक फार्मूले का इस्तेमाल करके तैयार किया जाता है. इसका मुख्य रसायन सिल्वर नाइट्रेट है जो कि 5 से 25 फीसदी तक होता है. मूलत: बैंगनी रंग का यह रसायन प्रकाश में आते ही अपना रंग बदल देता है व इसे किसी भी तरह से मिटाया नहीं जा सकता है.

क्यों लगाई जाती है मतदाताओं की उंगली में स्याही

दरअसल यह स्याही ऐसी है जो आसानी से नहीं मिटती और कम से कम 20 दिनों तक रहती है. यह मतदाता को फिर से मताधिकार का प्रयोग करने से रोकता है और धोखाधड़ी पर रोक लगाता है. चुनावी स्याही को बनाने के लिए सिल्वर नाइट्रेट केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है जिसे कम-से-कम 72 घंटे तक त्वचा से मिटाया नहीं जा सकता. सिल्वर नाइट्रेट की मात्रा स्याही में सात से 25 प्रतिशत तक होती है.

सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी भेजी जाता है यह स्याही

इस स्याही के प्रमुख ग्राहकों में से एक भारत का चुनाव आयोग है जो चुनाव में शामिल मतदाताओं की संख्या के आधार पर आदेश देता है. यह स्याही 5 मिलीलीटर, 7.5 मिलीलीटर, 20 मिलीलीटर, 50 मिलीलीटर और 80 मिलीलीटर की मात्रा वाले शीशियों में दी जाती है. भारत के अलावा यह स्याही थाईलैंड, सिंगापुर, नाइजीरिया, मलेशिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में भी निर्यात की जाती है.

अलग-अलग देशों में अलग-अलग तरीके से लगाई जाती है स्याही

जहां भारत में बांए हाथ की दूसरी अंगुली के नाखून पर इसका निशान लगाया जाता है वहीं, कंबोडिया व मालदीव में इस स्याही में अंगुली डुबानी पड़ती है. बुरन्डी व बुर्कीना फासो में इसे हाथ पर ब्रश से लगाया जाता है. अफगानिस्तान में इसे पैन के माध्यम से लगाया जाता है.

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